कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। शकील अहमद ने कांग्रेस के साथ अपना 88 साल पुराना नाता तोड़ लिया है। बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होते ही शकील अहमद ने बड़ा फैसला लिया। पार्टी के राज्य इकाई से नाराजगी के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया है। बताया जा रहा है कि शकील अहमद बिहार चुनाव में टिकट बांटे जाने से नाराज थे।

पार्टी नेताओं के साथ मतभेदों की बात मानी
शकील अहमद ने एक बड़ा खत लिखते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दिया। इस खत में उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया। हालांकि, अपने इस्तीफे पर बात करते हुए शकील अहमद ने कहा, मैंने पहले ही बता दिया था कि मैं अपने साथी पार्टी नेताओं के साथ मतभेदों के कारण भारी मन से इस्तीफा दे रहा हूँ। मैं पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों का समर्थन करता रहूँगा।
गुटबाजी और उपेक्षा से गहरी निराशा
शकील अहमद ने खुलकर कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में जिस तरह की गुटबाजी और उपेक्षा हुई, उसने उन्हें गहराई से निराश किया। उनका कहना था, मैंने तीन साल पहले ही चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी, लेकिन पार्टी ने जिन लोगों को टिकट दिया, उसमें सीनियर नेताओं की राय को नजरअंदाज किया गया। लोग पार्टी में सम्मान और पहचान के लिए रहते हैं, लेकिन जब वही नहीं बचता तो बने रहने का कोई कारण नहीं रह जाता।
राहुल गांधी पर बोला हमला
शकील अहमद ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज की कांग्रेस में वही लोग टिके हैं जिन्हें राहुल गांधी ने आगे बढ़ाया। अब इस पार्टी में वरिष्ठों की बात नहीं सुनी जाती। राहुल गांधी के बनाए लोग ही आज पार्टी चला रहे हैं, जिनमें अनुभव की कमी और अहंकार की अधिकता है।
15 दिन पहले ही कर लिया था फैसला
शकील अहमद ने कहा कि मैंने जानबूझकर आज का दिन चुना क्योंकि मैंने 15 दिन पहले ही फैसला कर लिया था, लेकिन मैं चुनाव के बीच में इस्तीफा देकर गलत संदेश नहीं देना चाहता था। मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से पार्टी को 5 वोट भी गंवाने पड़े, इसलिए मैंने पहले इस्तीफा नहीं दिया। चुनाव शाम 6 बजे खत्म हुए और मैंने लगभग शाम के 6:05-6:10 बजे कांग्रेस अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया।

