BJP–JDU में बढ़ी खींचतान: स्पीकर पद से लेकर गृह–वित्त मंत्रालय तक दोनों दलों की दावेदारी तेज

KK Sagar
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बिहार में नई सरकार के गठन से पहले ही एनडीए के दो प्रमुख घटक दल—भाजपा (BJP) और जदयू (JDU)—के बीच मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर जोरदार खींचतान सामने आ रही है। स्पीकर पद के साथ-साथ गृह और वित्त जैसे अहम मंत्रालयों पर दोनों दल अपनी दावेदारी जता रहे हैं, जिसके चलते अंतिम निर्णय फिलहाल अटका हुआ है।


🔹 स्पीकर पद पर टकराव तेज

बिहार विधानसभा अध्यक्ष का पद दोनों ही दलों के लिए राजनीतिक प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

भाजपा चाहती है कि स्पीकर का पद उसके पास रहे ताकि विधायी प्रक्रियाओं पर मजबूत पकड़ बनी रहे।

वहीं जदयू इसे अपनी वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर अपने हिस्से में देखना चाहता है।

दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता दिल्ली में लगातार बैठकें कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है।


🔹 गृह मंत्रालय: दोनों की पहली पसंद

बिहार सरकार का गृह मंत्रालय सबसे असरदार विभाग माना जाता है।

कानून-व्यवस्था, पुलिस प्रशासन और सुरक्षा प्रणाली की जिम्मेदारी होने के कारण दोनों दल इसे अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं।

गृह विभाग पर दोनों की समान दावेदारी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।


🔹 वित्त मंत्रालय पर भी मतभेद

वित्त विभाग पर भी भाजपा और जदयू के बीच मतभेद कायम हैं।

राज्य के बजट, योजनाओं और आर्थिक निर्णयों का केंद्र होने के चलते यह मंत्रालय भी दोनों दलों की प्राथमिकता में है।

जदयू का कहना है कि गठबंधन की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण विभागों का बंटवारा संतुलित होना चाहिए।


🔹 मंत्रिमंडल फार्मूला लगभग तय

सूत्रों के अनुसार, नए मंत्रिमंडल के लिए 6 विधायक पर 1 मंत्री का फॉर्मूला अपनाया गया है।

भाजपा को लगभग 15 मंत्री,

जदयू को 14 मंत्री (मुख्यमंत्री सहित) मिलने की संभावना है।

हालांकि गृह और वित्त विभाग के साथ स्पीकर पद पर सहमति बने बिना मंत्रियों की सूची जारी नहीं की जा सकेगी।


🔹 शपथग्रहण 20 नवंबर को, सत्र की तैयारी शुरू

सूत्रों के मुताबिक शपथग्रहण समारोह 20 नवंबर को गांधी मैदान में आयोजित किया जा सकता है।
इसके बाद 24 से 28 नवंबर तक विशेष सत्र बुलाए जाने की संभावना है, जिसमें स्पीकर का चुनाव और विश्वास मत पर चर्चा हो सकती है।


🔹 अंदरखाने चिंता: गठबंधन की बुनियाद कितनी मजबूत?

मंत्रालयों की खींचतान ने संकेत दे दिया है कि सत्ता साझेदारी की राह आसान नहीं रहने वाली।
हालांकि दोनों दल बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश में हैं, लेकिन शुरुआती टकराव से गठबंधन की दिशा और स्थिरता पर सवाल जरूर उठने लगे हैं।

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