Bihar: बिहार में ‘भूमिहार ब्राह्मण’ पर बवाल, सवर्ण आयोग नहीं सुलझा सकी मामला, गेंद नीतीश सरकार के पाले में

Neelam
By Neelam
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बिहार इन दिनों नया बवाल मचा हुआ है। विवाद है सरकारी दस्तावेज़ों में ‘भूमिहार’ लिखा जाए या ‘भूमिहार ब्राह्मण’? भूमिहार ब्राह्मण लिखा जाए इसको लेकर बुधवार को सवर्ण आयोग की तीसरी बैठक में सहमति नहीं बन सकी। आयोग के 5 सदस्य भूमिहार या भूमिहार ब्राह्मण के नाम पर दो खेमों में बंट गया है। इसके बाद इसपर फैसला लेने की जिम्मेदारी बिहार सरकार के पाले में चली गई है।

भूमिहार ब्राह्मण जाति पर सवर्ण आयोग में मामला चल रहा है। वर्ष 1931 की जनगणना में ‘बाभन’ (भूमिहार ब्राह्मण) लिखा हुआ है। मगर, सरकारी दस्तावेजों में भूमिहार ब्राह्मण को भूमिहार नहीं लिखा गया है। इसे गलत मान रहे हैं। इसको लेकर सवर्ण आयोग में दो बैठकें हुईं। लेकिन, इसका रिजल्ट नहीं निकल पाया।

क्या है विवाद?

दरअसल, सरकारी रिकॉर्ड में ‘भूमिहार’ शब्द के इस्तेमाल पर समाज के कुछ संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। उनका तर्क है कि भूमिहार, ब्राह्मण जाति का ही हिस्सा हैं और विशेष रूप से वे अयाचक ब्राह्मणों की श्रेणी में आते हैं। इसलिए सरकारी काग़ज़ात में केवल ‘भूमिहार’ लिखना ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से ग़लत है। इसी आपत्ति के बाद बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 10 अक्टूबर 2025 को सवर्ण आयोग को चिट्ठी लिखकर मार्गदर्शन मांगा क्या अब दस्तावेज़ों में ‘भूमिहार ब्राह्मण’ लिखा जाना चाहिए?

तीसरी बैठक में भी नहीं बनी सहमति

इस सवाल पर सवर्ण आयोग की 21 नवंबर और 8 दिसंबर को दो बैठकें हुईं, लेकिन दोनों ही निष्कर्षहीन रहीं। इसको लेकर बुधवार को सवर्ण आयोग की तीसरी बैठक में सहमति नहीं बन सकी। आयोग के 5 सदस्य भूमिहार या भूमिहार ब्राह्मण के नाम पर दो खेमों में बंट गया है। इसके बाद इसपर फैसला लेने की जिम्मेदारी बिहार सरकार के पाले में चली गई है।

सवर्ण आयोग के चेयरमैन ने किया विवाद की खबरों का खंडन

वहीं, सवर्ण आयोग के चेयरमैन महाचंद्र प्रसाद सिंह ने ऐसे किसी विवाद और नाराजगी की खबरों का खंडन किया है। हर समाज में इस तरह की परिस्थितियां रहती है। खुद दस्तावेज कहता है उसी पर हम लोग विचार करने वाले हैं। उनका कहना है कि जो जनसंख्या का निर्धारण हुआ है उसमें स्पष्ट लिखा हुआ है।

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