हादी की मौत के बाद बांग्लादेश सुलगा, कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन और तोड़फोड़

KK Sagar
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बांग्लादेश में हालात उस समय बिगड़ गए जब युवा नेता और ‘इंकलाब मंच’ के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत की खबर सामने आई। हादी की मौत के बाद देश के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी। जानकारी के मुताबिक, हादी 12 दिसंबर को ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलाज के लिए उन्हें सिंगापुर ले जाया गया था, जहां गुरुवार रात दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

हादी की मौत की खबर फैलते ही राजधानी ढाका, राजशाही समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध शुरू कर दिया। कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक हो गए। उपद्रवियों ने प्रोथम आलो और डेली स्टार जैसे प्रमुख अखबारों के दफ्तरों में तोड़फोड़ की और आगजनी की घटनाओं को अंजाम दिया। कुछ इलाकों में अवामी लीग के कार्यालयों को भी निशाना बनाया गया और सड़कों को जाम कर दिया गया।

इतना ही नहीं, भारतीय सहायक उच्चायोग के कार्यालय के बाहर भी विरोध प्रदर्शन हुए, जहां पथराव की घटनाओं की सूचना है। इससे क्षेत्र में तनाव और बढ़ गया है।

राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो शरीफ उस्मान हादी को बांग्लादेश में सरकार विरोधी और भारत विरोधी रुख के लिए जाना जाता था। वे आगामी चुनावों में एक संभावित उम्मीदवार माने जा रहे थे और खासतौर पर युवाओं और छात्रों के बीच उनकी अच्छी-खासी पकड़ थी। उनकी मौत के बाद विरोध प्रदर्शनों में कई जगह भारत विरोधी नारे भी लगाए गए।

हालात को देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए भरोसा दिलाया कि हादी की हत्या के दोषियों को जल्द गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाएगी।

विश्लेषकों का मानना है कि हादी की मौत से उनके समर्थकों में भारी आक्रोश है। इसके अलावा देश पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता, आगामी चुनावों और सामाजिक तनाव के दौर से गुजर रहा है, जिससे हालात और विस्फोटक हो गए।

फिलहाल बांग्लादेश के कई इलाकों में तनाव बना हुआ है। सुरक्षा बलों को अलर्ट पर रखा गया है और संवेदनशील क्षेत्रों में कड़ी निगरानी की जा रही है। वहीं प्रदर्शनकारी लगातार “न्याय” और “जवाबदेही” की मांग कर रहे हैं।

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