पारंपरिक खेती छोड़ वैज्ञानिक पद्धति पर जताया भरोसा, दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने छत्तीस तिरिया

Manju
By Manju
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जमशेदपुर : घाटशिला प्रखंड के कालचित्ती पंचायत अंतर्गत दीघा गांव के रहने वाले छत्तीस तिरिया की पहचान प्रगतिशील कृषक रूप में होती है। छतिश तिरिया ने वैज्ञानिक पद्धति की कृषि प्रणाली को अपनाकर खेती किसानी को एक व्यवसाय के तौर पर परिभाषित किया। प्रखंंड के पहले ऐसे प्रगतिशील कृषक हैं जिन्होंने मल्चिंग व ड्रिप इरीगेशन पद्धति का सफलतापूर्वक प्रयोग करते हुए व कृषि विभाग द्वारा अनुदानित राशि पर दी जाने वाली कृषि उपकरणों व वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग कर न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत की बल्कि अन्य किसानों को भी प्रेरित किया। छत्तीस बताते हैं कि उनका परिवार पहले पंरपरागत विधि से ही खेती करता था जिसमें मेहनत ज्यादा, लागत ज्यादा पर मुनाफा व उपज कम होती थी।

वैज्ञानिक पद्धति से शुरू की समेकित खेती, आमदनी में हुई बढ़ोत्तरी

आत्मा प्रभाग द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होकर तथा वैज्ञानिक पद्धति का मार्ग अपनाकर छतिश तिरिया ने अपने जीवन को एक नई दिशा प्रदान की। उनके मुताबिक वे समय-समय पर कृषि विभाग द्वारा दिए जाने वाले ग्राम स्तरीय प्रशिक्षण व कार्यशाला में भाग लेकर, प्रखण्ड स्तरीय कृषि कार्यशाला में भाग लेकर तथा के.वी.के(कृषि विज्ञान केन्द्र) के वैज्ञानिकों के परामर्श व तकनीकों का अनुपालन करते हुए कृषि उत्पादों में बढ़ोत्तरी की और कृषि को ही अपना व्यवसाय चुना। उसमें सफलतापूर्वक प्रगति कर रहे हैं।

ड्रिप इरीगेशन व मल्चिंग से सब्जी का उत्पादन दुगुना

छतीश साल भर अपने 3 एकड़ जमीन में सब्जी की खेती करते हैं। सब्जियों की खेती में मल्चिंग विधि का प्रयोग कर रहे हैं। बताते हैं मल्चिंग विधि से जो सब्जियां फलती है, भूमि के संपर्क में नहीं आती जिससे फल बर्बाद नहीं होता है। तार के सहारे पौधा को सहारा दिया जाता है और उत्पाद में वृद्धि होती है उसे तोड़ने में भी आसानी होती है। ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से पानी की कम खपत होती है, पानी सीधे पौधे के जड़ों तक जाता है। पानी के साथ-साथ बीज व खाद की भी कम खपत होती है, नतीजा उत्पादन अच्छा प्राप्त होता है। विगत वर्ष कुसुम योजना के तहत छतिश तिरिया ने सोलर पंप प्राप्त किया। अब ड्रिप सिस्टम में बिजली की खपत नहीं है। सोलर पंप के द्वारा सिंचाई का कार्य अब निशुल्क हो रहा है। छतिश तिरिया का सालाना आय ढाई से तीन लाख रूपए तक हो जाती है। छतीश तिरिया कहते हैं कि आमदनी बढ़ानी हो तो आधुनिक खेती को अपनाना ही होगा। खेती सिर्फ भरण-पोषण नहीं बल्कि व्यवसाय का भी बढ़िया माध्यम है। वे बताते हैं कि कई अन्य किसान जो दैनिक मजदूरी करने गांव छोड़ शहर की ओर हर दिन जाते थे। वो भी उनसे सीखकर वैज्ञानिक पद्धति से खेती करते हुए अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहें है और अपने परिवार के साथ रहकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहें हैं।

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