मिरर मीडिया : शिक्षा और शुल्क को लेकर अभिभावक और निजी विद्यालय में रार ख़त्म होती नज़र नहीं आ रहीं है यहाँ यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी की निजी विद्यालय अपनी मनमानी रवैये से इसे ख़त्म करना भी नहीं चाह रही है। इसलिए बार-बार अभिभावकों कों इससे सम्बंधित विभाग, प्रशासन या सरकार से गुहार लगानी पड़ती है। पर आलम ये है कि सरकार के आदेश और नियम के ख़िलाफ जा कर स्कूल कई तरह से शुल्क वसूल रहें है। जबकि शुल्क मद में शुल्क किस् मद में ली जा रही है इसकी जानकारी भी अभिभावकों को नहीं दी जा रही है।

आपको बता दें कि ताजा मामला धनबाद के कार्मेल स्कूल का है जहां स्थानीय कुमार मधुरेन्द्र ने स्कूल द्वारा एक्सटेंशन फी के नाम पर लिए जा रहे पैसे का विरोध जताया हुए इसकी शिकायत विभाग से की। जिसके बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेश ने स्कूल को अपना पक्ष रखने को कहा है।

बता दें कि कुमार मधुरेंद्र ने क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक से उक्त मामले में स्कूल से संबंधित शिकायत की थी जिसके बाद संयुक्त निदेशक में जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिख मामले में जांच करने के निर्देश दिए थे। जिसके आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कार्मेल स्कूल को 1 जून तक अपना पक्ष रखने एवं सीबीएसई अथवा आईसीएसई के तहत ली जाने वाली शुल्क से संबंधित पत्र की मांग की है।

बहरहाल जिस तरह से जिले के निजी विद्यालयों द्वारा शुल्क को लेकर अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है यहाँ तक कि सरकारी आदेशों की अवहेलना कर शुल्क वसूली की जाती है। अब सवाल तो बनता है कि क्या सरकार और उके नियम से ऊंचा है निजी विद्यालय और उसके नियम? क्या बिन नियम और कानून के चलेंगे ये निजी विद्यालय? इसका जवाब फिलहाल शिक्षा विभाग के पास भी नज़र नहीं आ रहा है। पर अब ये समय ही तय करेगा कि इस मनमानी पर शिक्षा विभाग कब तक और किस स्तर से जांच कर कार्रवाई करती है।