मिरर मीडिया : धनबाद की जनता ने ये मान लिया की धनबाद अंचल कार्यालय में उनका काम भगवान भरोसे ही है। यानी अंचल कार्यालय के चक्कर काट-काट कर जनता परेशान जरूर हो जाती है पर कोई काम आसानी से नहीं हो पाता।
बता दें कि धनबाद अंचल कार्यालय में सीओ का दफ़्तर हो या सीआई का दफ्तर दोनों में ताला लटका हुआ है हालांकि इसकी सूचना किसी के पास नहीं है की वो कब आएँगे और आएंगे भी या नहीं। हाँ साहब आए ना आए लेकिन जनता को तो रोज काम कराने के लिए कार्यालय का चक्कर लगाने तो जरूर आना पड़ता है।
एक बात तो तय है कि अगर आपको अपना कोई काम सीधे तौर पर करवाना है तो कमर जरूर कस ले भागदौड़ के लिए क्यूंकि कार्यालय का चक्कर जो लगाना है। यानी सीधे तौर पर काम की समय सीमा तय नहीं है पर आपके आने जाने की समय सीमा सटीक होनी चाहिए वहीं दूसरी तरफ काम अगर जल्द और बिना दौड़ धूप के करवानी है तो आप खुद समझदार है।
बहरहाल जनता की परेशानी से साहब को कोई मतलब नहीं है ना ऊपर के अधिकारी को। जनता के सेवक और पर सेवा कौन करता है? यहाँ ना कोई संज्ञान लेने वाला है ना कोई पूछने वाला। इसलिए तो ये है भगवान भरोसे!