जमशेदपुर : बहनों ने गुरूवार को भाइयों की मंगलकामना के लिए गोधन कूटा। इस दौरान गालियां और श्राप देने की अनोखी परंपरा है। भैयादूज का दिन ‘गोधन’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहन अपने भाइयों को ‘शाप’ देकर उनकी मंगलकामना करती हैं। मान्यता है कि इस शाप से भाइयों को मृत्यु का डर नहीं होता। गोधन के मौके पर बहन द्वारा भाइयों को जी भर कर कोसा जाता है और गालियां दी जाती है, यहां तक की भाइयों की मृत्यु हो जाने का भी शाप दिया जाता है। इस क्रम में ‘रेंगनी’ (एक प्रकार का पौधा) के कांटों को बहनें अपनी जीभ में चुभाती हैं। इस क्रिया को ‘शापना’ कहा जाता है। कई महिलाएं एक ही स्थान पर एकत्रित होकर गोधन कूटती हैं।

इस दिन मोहल्ले में एक घर के बाहर महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से गोबर से चौकोर आकृति बनाई जाती है, जिसमें यम और यमी की गोबर की ही प्रतिमा बनाई जाती है। इसके अलावा सांप, बिच्छु आदि की आकृतियां भी बनाई जाती हैं। प्रारंभ में वहां एकत्र हुई मोहल्ले की महिलाएं इसकी पूजा करती हैं और फिर इन्हें डंडे से कूटा जाता है।

गोधन पर्व करने वाली महिलाओं ने बताया इस दौरान इस आकृति के पास चना, ईंट, नारियल, सुपारी और वह कांटा जिसे अपने जीभ में चुभाकर भाइयों को कोसा गया है। इस अनोखी परंपरा को ही गोधन कूटना कहा जाता है। इस दिन भाइयों द्वारा बहन को उपहार देने की भी परंपरा है। महिलाओं का कहना है कि यह परंपरा काफी पुरानी है, जिसे परंपरानुसार पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है।