जमशेदपुर : अनुबंध सहायक प्राध्यापकों का आंदोलन आखिरकार रंग लाया। झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों उच्च न्यायालय के आज के फैसला से खुशी की लहर छाई हुई है। हाईकोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रदेश संरक्षक डॉ एसके झा ने कहा कि तीन विश्वविद्यालयों कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा, विनोबा भावे विश्वविद्यालय तथा बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद से विज्ञापन प्रकाशित होने के बाद इस आधार पर उच्च न्यायालय में चुनौती दिया गया कि संविदा को हटाकर उसी पद पर संविदा नियुक्ति नहीं हो सकती है। जिसके बाद कोल्हान विश्वविद्यालय से डाॅ प्रभास गोराई के मामले में उच्च न्यायालय ने उक्त विज्ञापन पर फरवरी 2021 में स्टेय आर्डर लगा दिया था। आज उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि संविदा सहायक प्राध्यापकों को हटाकर पुनः उसी पद पर संविदा शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकती। प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार तथा विकास कुमार ने बहस किया। बता दें कि राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों व अंगीभूत महाविद्यालयों में वर्ष 2017 से लगभग 900 घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक कार्यरत हैं। इस बीच सरकार ने इन शिक्षकों को हटाकर पुनः शिक्षकों को नियुक्त करने का आदेश विभिन्न विश्वविद्यालयों को जनवरी 2021 में दिया था। जिसका घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों ने विरोध किया था। जिसके बाद पूरे राज्य के घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों में आज के न्याय निर्णय में खुशी की लहर दौड़ गई।
हाईकोर्ट के फैसले से घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों में खुशी की लहर
