मिरर मीडिया : झारखंड में हो रहे शराब की खरीद बिक्री पर सवाल उठाते हुए बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कठघरे में खड़ा करते हुए एक से बढ़कर एक सवाल उठाए हैं। उन्होंने झारखंड में शराब के कारोबार से हो रहे राजस्व के नुकसान पर भी सवाल किया है। बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट किया है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, इससे पहले की आप इस शराब घोटाले के मामले में भी फँसकर एक और घोटाले का रिकार्ड अपने नाम कर लें, उठिये, जागिये और बिना देरी किये उन अफ़सरों पर कठोर कारवाई करिये जिन्होंने ने दिल्ली की तर्ज़ पर शराब घोटाले में आपकी गर्दन फँसाने का पक्का इंतज़ाम कर दिया है।
जैसा मैंने पहले कहा था झारखंड में छत्तीसगढ़ से घोटाला करने के लिये ही लायी गयी शराब नीति और छत्तीसगढ़ी कंपनियों का प्रकोप अब सामने आ गया है। अब तक क़रीब छः सौ करोड़ रूपये सरकारी राजस्व का नुक़सान होने की खबर है।चेहरा बचाने के लिये उत्पाद विभाग ने ठेके से पहले ही चुन कर रखे गये। पंसददीदा”जिन कंपनियों पर टार्गेट पूरा नहीं करने के लिये जुर्माना लगाया है उनमें तीन ने उच्च न्यायालय में सरकार पर मुक़दमा कर दिया है। शराब बेचने वाली मैन पावर सप्लाई कंपनियाँ कह रही है कि उन्हें ब्रांडेड शराब/बीयर की सप्लाई मिल ही नहीं रही तो टार्गेट मुताबिक़ सेल कैसे करें?
शराब के होल सेलर कहते हैं- ब्रांडेड कंपनियाँ मनोनुकूल शराब/बीयर की आपूर्ति ही नहीं कर रही और कंपनियाँ कहती हैं उन्हें माल सप्लाई का भुगतान ही नहीं हो रहा तो आगे सप्लाई करें कैसे? इस चुहे-बिल्ली और “लूटपाट” के खेल में झारखंड के सराकरी राजस्व का बैंड बज रहा है।
दोषी कौन? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी, आपके नज़रों में इस पत्रवीर के उठाये सवालों के लिये पिछले पन्ने पलटिये।आपके सारे शंका का समाधान हो जायेगा। सरकारी व्यवस्था में जब घूस टार्गेट फ़िक्स कर पहले वसूल लिया जायेगा तो सरकारी राजस्व का नुक़सान तो होना ही है।यही तो हो रहा है दारू में।