हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा धनबाद में दो दिवसीय ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ की शुरूआत

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हिन्दू समाज को स्वयं का अस्तित्व टिकाये रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र के आंदोलन को प्रखर बनाना आवश्यक

मिरर मीडिया धनबाद : भारत को संवैधानिक पद्धति से ‘हिन्‍दू राष्‍ट्र’ बनाने की योजना निर्धारित करने के लिए आज हीरापुर (धनबाद) स्थित अग्रसेन भवन में हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘दो दिवसीय हिन्‍दू राष्‍ट्र अधिवेशन’ प्रारंभ हुआ। अधिवेशन का उद्घाटन पूजनीय संत, स्वामी प्रज्ञात्मानंद जी महाराज, स्वामी वृंदावन दास, डाॅक्टर नील माधव दास, डॉक्टर कौशिक मल्लिक एवं हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। इसके बाद पूजनीय संतों का सम्मान किया गया।

भारत अनादि काल से हिंदू राष्ट्र था परंतु धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के दुष्चक्र में फंसने के कारण यहां के हिंदुओं का दमन हो रहा है। इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु पुनः हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना अनिवार्य हो गया है। गत 10 वर्षों से हिंदू जनजागृति समिति द्वारा प्रतिवर्ष गोवा में अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन तथा विभिन्न राज्यों में प्रांतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन के आयोजन किए जाने के फलस्वरूप पूरे देश में हिंदू राष्ट्र की चर्चा प्रारंभ हुई है। समिति द्वारा हिंदू राष्ट्र का कार्य सामने रखकर विविध क्षेत्रों में बहुआयामी कार्य भी प्रारंभ किए गए हैं। हिंदू राष्ट्र स्थापना के कार्य को गति और बल देने के उदेश्य से इस वर्ष भी १७ व १८ दिसंबर ‘२२ की अवधि में यह प्रांतीय अधिवेशन आयोजित किया गया है।

समिति के प्रवक्ता रमेश शिंदे ने अपने बीज वक्तव्य में परिलक्षित किया कि अनुच्छेद 370 के हटने के उपरांत भी कश्मीर में हिंदुओं की लक्ष्यित हत्याएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। आज भी कश्मीर से हिन्दू पलायन कर रहे हैं। कश्मीर के उपरांत अब उत्तर प्रदेश दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि राज्यों के हिन्दुओं के घरों पर ‘घर बिकाऊ है’ ऐसा लिखा हुआ दिखाई दे रहा है।  ऐसी स्थिति में हिन्दू समाज को स्वयं का अस्तित्व टिकाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र के आंदोलन को प्रखर बनाना अत्यावश्यक हो गया है। अधिवेशन के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए रमेश शिंदे ने कहा कि, आज वायु, ध्वनि आदि प्रदूषण की बात हो रही है, परन्तु राष्ट्र एवं धर्म विरोधी वैचारिक प्रदूषण की ओर हम कब ध्यान देंगे ? हिन्दू राष्ट्र की स्थापना, धर्म का अधर्म के विरुद्ध युद्ध है । हिन्दुओं को यह ध्यान में लेना चाहिए। सरकार किसी भी विचारधारा की हो, परन्तु देश की राज्यव्यवस्था देश के बहुसंख्यक अर्थात हिन्दू समाज के लिए प्रधानता से अनुकूल होनी चाहिए। इसलिए हमें हिन्दू राष्ट्र स्थापना करनी होगी।

इस अधिवेशन में झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार एवं ओडिशा के राज्य से ५० से ज्यादा हिन्दूत्वनिष्ट संगठनों के १०० से अधिक पदाधिकारी, मंदिर विश्वस्त, अधिवक्ता व विचारक सहभागी हुए हैं। सभी ने एकजुट होकर ‘ज्ञानव्यापी क्षेत्र की मुक्ति के लिए चल रहे कानूनी संघर्ष का समर्थन करने तथा भारत को संवैधानिक पद्धति से हिन्दू राष्ट्र बनाने का संकल्प किया।

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