जमशेदपुर : मकर संक्रांति में पोटका के नुआग्राम गांव में मकर कीर्तन करने की वर्षो पुरानी परंपरा आज भी जीवित है। ऐसी मान्यता है कि पौष संक्रांति के दिन भागीरथ मां गंगा को मर्त्य धाम में तपस्या कर के लाए थे। मां गंगा का स्पर्श पाकर सागर वंश का उद्धार हुआ था इसलिए पौष संक्रांति में गंगा स्नान करने का इतना महत्व है। इस दिन जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते हैं, वैसे लोग कोई नदी और तालाब में जाकर नहाते है व नए बस्त्र पहनते हैं व मकर कीर्तन करते हुए घर आते हैं। यह धार्मिक परंपरा आज भी पोटका के नुआग्राम में जीवित हैं।
मकर पर्व के शुभ अवसर पर नुआग्राम में मकर कीर्तन की परंपरा का ग्रामीणों ने निर्वाह किया। रविवार को सुबह 11 बजे गांव में मकर संक्रांति कीर्तन मंडली द्वारा सुनील कुमार दे के नेतृत्व में गांव के तालाब से मकर कीर्तन करते हुए पूरे नुआग्राम में परिक्रमा किया गया। अंत मे शिव मंदिर में कीर्तन के बाद मकर चावल, तिल व लड्ड़ू प्रसाद के रूप में वितरण किया गया। कीर्तन मंडली में सुनील कुमार दे के अलावे शंकर चंद्र गोप,भास्कर चंद्र दे, स्वपन दे, तरुण दे, तपन दे, महादेव दे, प्रशांत दे, शैलेन्द्र प्रामाणिक, प्रदीप दे, अरुण पाल आदि सहयोग दिया।