मिरर मीडिया : कोरोना काल में अस्त व्यस्त हुई जिंदगी अभी भी पटरी पर लौट ही रही है। बच्चों की पढ़ाई से लेकर आम दैनिक जीवन और उसके यापन को लेकर जो जद्दोजहद देखी गई उसे भुलाया नहीं जा सकता। इसी क्रम में कोरोनाकाल के दौरान स्कूलों के फीस को लेकर भी मामला सामने आया जिसके बाद लगातार स्कूलों और अभिभावकों के बीच दरार सी आ गई।
बता दें कि कोरोनाकाल में सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया था जिसका असर कि सभी घरों में कैद हो गए और बच्चों की पढ़ाई स्कूल ना जाकर घर में ही ऑनलाइन चल रहे थे। स्कूल जाने से आने तक के सभी कार्य बंद सिर्फ ऑनलाइन वो भी घर से। पर इसको लेकर फीस पूरी वसूली गई थी अभिभावकों से। अब साल 2020-21 की फीस को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि यूपी के सभी प्राइवेट स्कूलों को अब 15 फीसदी फीस वापस करनी होगी। यह फैसला मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और जे जे मुनीर ने दिया है। इससे जुड़ी सभी याचिकाओं की सुनवाई 06 जनवरी 2023 को हुई थी और फैसला 16 जनवरी को आया।
बता दें कि साल 2020-12 में कोरोना महामारी के दौरान स्कूल बंद थे, और पढ़ाई ऑनलाइन चल रही थी। इस दौरान जब बच्चें और टीचर स्कूल नहीं जा रहे थे तो सुविधाएं भी नहीं मिलीं। तो फिर उन सुविधाऔं का स्कूलों ने पैसा क्यों लिया?
अब सवाल ये उठता है कि क्या फीस माफी के फैसले के तहत सभी स्कूल आएंगे? तो इसका सीधा सा जवाब है हां। वहीं कोर्ट का यह फैसला केवल 2020-21 सेशन के लिए है और यह फैसला केवल एक साल की फीस के लिए सुनाया गया है। मतलब केवल एक साल की फीस वापस होगी।
हालांकि उस दौरान फीस घटाने वाले स्कूलों पर यह नियम लागू नहीं होगा। जबकि यह फैसला यूपी के सभी प्राइवेट स्कूलों पर लागू होगा और सभी क्लास के बच्चों की फीस माफ होगा। बता दें कि इस काम के लिए हाईकोर्ट की तरफ से स्कूलों को 2 महीने का समय दिया गया है। स्कूल फीस को अगले सेशन में भी एडजस्ट कर सकते हैं। इतना ही नहीं जिस बच्चें ने स्कूल छोड़ दिया है या जो बच्चा अब उस स्कूल में नहीं पढ़ रहा है तो भी स्कूलों को उन बच्चों की फीस का वो हिस्सा वापस करना होगा।