गिरफ्तार किये गए व पूछताछ के लिए बुलाए गए व्यक्ति के साथ पुलिस अब नहीं कर पाएगी मनमानी : थानों में ही गिरफ्तार व्यक्ति को मिलेगी कानूनी सहायता

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मिरर मीडिया धनबाद :  गिरफ्तार किए गए व्यक्ति और पूछताछ के लिए थाना बुलाए गए व्यक्ति के साथ अब पुलिस किसी तरह की मनमानी नहीं कर पाएगी। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह चेयरमैन जिला विधिक सेवा प्राधिकार राम शर्मा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने गिरफ्तार व्यक्ति को उसके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने के लिए पहल शुरू की है। झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार धनबाद द्वारा जिले के तमाम पुलिस थाना, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड मैं गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकार व पुलिस थानों में आपके अधिकार बताने के लिए बोर्ड लगवाया है।

इस बाबत जानकारी देते हुए प्राधिकार के सचिव सह अवर न्यायाधीश निताशा बारला ने बताया कि थाना में पूछताछ के लिए पुलिस द्वारा बुलाए गए व्यक्ति को एवं गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को भारतीय संविधान द्वारा कई अधिकार दिए गए हैं। परंतु इसकी जानकारी नहीं होने के कारण वह पुलिसिया मनमानी के शिकार हो जाते हैं। इसलिए सभी थानों में बोर्ड लगाई गई है जिसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव और अधिवक्ताओं के नंबर भी दिए गए हैं। पीड़ित व्यक्ति किसी भी समय प्राधिकार के अधिवक्ता से सलाह ले सकते हैं अपने अधिकार को जान सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्राधिकार और उनके अधिवक्ता से संपर्क करने पर तत्काल थाने में ही उन्हें विधिक सहायता प्रदान की जाएगी।

पूछताछ के लिए बुलाए गए व्यक्ति के क्या है अधिकार

इस बाबत बारला ने बताया कि हर व्यक्ति जीसे पुलिस पूछताछ के लिए थाना बुलाती है  उसे यह जानने का अधिकार है कि उसे क्यों बुलाया गया है ,पुलिस उसके बारे में क्या सोचती है कि उसने क्या किया है । व्यक्ति को उन  सवालों का जवाब नहीं देने का अधिकार है जो उस पर ही आत्म दोष लगाते हो, हर व्यक्ति को अधिकार है कि पूछताछ के समय वह अपने वकील को अपने साथ रख सकता है, या प्राधिकार से मुफ्त कानूनी सहायता प्राप्त कर सकता है, उसे चिकित्सीय सहायता लेने का भी अधिकार है।

गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के अधिकार

वही गिरफ्तार कर लाए गए व्यक्ति को यह अधिकार है कि उसे मांगे जाने पर  मुकदमा लड़ने के लिए सरकारी खर्च पर वकील मुहैया करा दी जाए।  जमानत के अधिकार के बारे में भी उसे जानने का अधिकार है। गिरफ्तारी पर अपने दोस्त रिश्तेदार या किसी अन्य व्यक्ति को सूचित करने का अधिकार है, गिरफ्तारी के बाद उसका चिकित्सीय परीक्षण का भी अधिकार है। दोष नहीं स्वीकार करने का भी अधिकार उसके पास है। उसे यह भी अधिकार है की गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाए । यह सारे अधिकार व्यक्ति को संविधान के द्वारा प्रदत्त किए गए हैं परंतु कई ऐसे मामले आए जिनमें इन अधिकारों का उल्लंघन किया गया जिस कारण प्राधिकार ने लोगों को जागरूक बनाने का कार्य शुरू किया है।

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