
झारखण्ड: जमीन घोटाले मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। ईडी ने बुधवार को रिमांड आवेदन में कोर्ट को बताया कि पहले समन के बाद ही हेमंत सोरेन ने अपने पावर का गलत उपयोग किया और इस केस से संबंधित साक्ष्य को नष्ट करने की कोशिश की।
ईडी ने कोर्ट को बताया है कि रिमांड के दौरान हेमंत सोरेन से संबंधित कई अन्य संपत्तियों को अनुसंधान में समाहित किया गया है, जिसपर उन्होंने सही सूचना नहीं दी है। यह बरियातू की 8.5 एकड़ जमीन के अतिरिक्त है, जिसपर उनका कब्जा है।
ईडी ने कहा कि हेमंत सोरेन को आठ अगस्त 2023 को पहला समन किया गया था और उन्हें 14 अगस्त को उपस्थित होने के लिए कहा गया था।
16 अगस्त को अंचलाधिकारी बड़गाईं को राज कुमार पाहन ने एक आवेदन दिया कि जमीन उनके कब्जे में है, लेकिन कुछ लोगों ने अवैध तरीक से उक्त जमीन की जमाबंदी करा ली है। उन्होंने आवश्यक कार्रवाई के लिए लिखा था।इसके बाद प्रक्रिया शुरू हुई और अंतिम रूप से 29 जनवरी 2024 को एसएआर कोर्ट ने अंतिम रूप से राजकुमार पाहन को उक्त जमीन का मालिकाना हक दे दिया। उस वक्त ईडी की दिल्ली में छापेमारी चल रही थी।
वहीं,बड़गाईं की उक्त विवादित जमीन से संबंधित मामले में 12 जून 2023 को भानु प्रताप प्रसाद के विरुद्ध ईडी ने चार्जशीट दाखिल की थी।दाखिल चार्जशीट से संबंधित दस्तावेज 29 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित आवास के कबर्ड से मिले थे। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि यह साबित करता है कि हेमंत सोरेन उक्त जमीन से संबंधित अनुसंधान से अवगत थे।