डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: इस साल भी जनगणना की संभावना बहुत कम दिख रही है , क्योकि बजट में इसके के लिए सिर्फ 1,309.46 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जो कि 2021-22 की तुलना में भी काफी कम है। उस समय जनगणना के लिए 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
दअरसल, केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 दिसंबर, 2019 को हुई बैठक में 8,754.23 करोड़ रुपये की लागत से 2021 की जनगणना कराने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को पूरा करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
30 सितंबर, 2020 तक पूरे देश पूरा करना था जनगणना और एनपीआर
बता दें कि जनगणना और एनपीआर का काम एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक पूरे देश में किया जाना था, लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी के प्रकोप के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। जनगणना कार्य अब भी रुका हुआ है और सरकार ने अभी तक इसके लिए नए कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है।
12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना
वहीं,अधिकारियों ने बताया कि पूरी जनगणना और एनपीआर प्रक्रिया पर सरकार को 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है। यह कार्य जब भी होगा तो यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जो नागरिकों को स्वयं गणना करने का अवसर प्रदान करेगी।