झारखंड विधानसभा चुनाव में सभी प्रत्याशी जीत हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इसके लिए वे भारी-भरकम खर्च करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। धनबाद जिले में चुनावी खर्च के मामले में झरिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह सबसे आगे हैं।
झरिया से भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह ने किया सबसे अधिक खर्च
17 नवंबर तक झरिया से भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह ने 17,01,297 रुपये खर्च किए हैं। यह धनबाद जिले में किसी भी प्रत्याशी द्वारा किया गया सबसे अधिक खर्च है। वहीं, झरिया से कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा नीरज सिंह ने 9,99,249 रुपये खर्च किए हैं।
टुंडी में जेएमएम प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो दूसरे स्थान पर
चुनावी खर्च में दूसरे स्थान पर टुंडी विधानसभा से जेएमएम प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो हैं, जिन्होंने 16,86,548 रुपये खर्च किए हैं। वहीं, इसी सीट से झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के मोतीलाल महतो ने 14,03,339 रुपये खर्च किए। भाजपा प्रत्याशी विकास कुमार महतो ने 8,03,582 रुपये खर्च किए हैं।
धनबाद विधानसभा से भाजपा के राज सिन्हा का 14 लाख से अधिक खर्च
धनबाद विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी राज सिन्हा ने 17 नवंबर तक 14,22,957 रुपये खर्च किए हैं। कांग्रेस के अजय दुबे ने इस सीट पर 9,21,676 रुपये का चुनावी खर्च किया है।
सिंदरी से भाजपा और सीपीआईएम प्रत्याशियों का खर्च
सिंदरी विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी तारा देवी ने 13,58,348 रुपये खर्च किए हैं। वहीं, सीपीआईएम के चंद्रदेव महतो ने 11,64,117 रुपये खर्च किए हैं।
बाघमारा में निर्दलीय रोहित यादव दूसरे स्थान पर
बाघमारा विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न महतो ने 11,73,959 रुपये खर्च किए हैं। इसी क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी रोहित यादव ने 10,30,176 रुपये खर्च कर दूसरे स्थान पर जगह बनाई है। कांग्रेस प्रत्याशी जलेश्वर महतो ने यहां 8,17,476 रुपये खर्च किए।
निरसा में भाजपा की अपर्णा सेन गुप्ता आगे
निरसा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी अपर्णा सेन गुप्ता ने सर्वाधिक 11,26,201 रुपये खर्च किए हैं। झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा के अशोक मंडल ने 5,01,713 रुपये और सीपीआईएम प्रत्याशी अरूप चटर्जी ने 5,90,467 रुपये खर्च किए हैं।
चुनावी खर्च की हो रही कड़ी निगरानी
चुनाव आयोग द्वारा प्रत्याशियों के खर्च पर नजर रखी जा रही है। प्रत्याशियों को चुनावी खर्च की सीमा का पालन करना आवश्यक है, परंतु कई प्रत्याशी इस मामले में बढ़त लेने की कोशिश कर रहे हैं। यह खर्च प्रचार, रैलियों, पोस्टर, बैनर, और अन्य माध्यमों पर किया जा रहा है।