कोविड महामारी का अंत होते नहीं दिख रहा है, और अब नए वायरस दुनिया में कहर बरपा रहे हैं। अफ्रीकी देश रवांडा में इन दिनों मारबर्ग वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, जिससे अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग संक्रमित हैं, और 17 देशों ने ट्रैवल अलर्ट जारी किया है। इस वायरस को “ब्लीडिंग आई वायरस” भी कहा जाता है, क्योंकि इससे पीड़ितों की आंखों से खून निकलने लगता है।
मारबर्ग वायरस: क्या है और कैसे फैलता है?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, मारबर्ग वायरस इबोला वायरस फैमिली से संबंधित है और यह वायरल हेमरेजिक फीवर का कारण बनता है। यह वायरस ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे इंटरनल ब्लीडिंग और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। यह जूनोटिक वायरस है, यानी यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। खासतौर पर यह चमगादड़ों से उत्पन्न होता है और उनके खून, यूरिन या लार के संपर्क में आने से इंसानों में फैलता है।
लक्षण: गंभीर बीमारी की शुरुआत
मारबर्ग वायरस के लक्षण इबोला वायरस जैसे होते हैं। इनमें तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश, रैशेज और दस्त शामिल हैं। गंभीर मामलों में यह इंटरनल ब्लीडिंग और ऑर्गन फेलियर का कारण बन सकता है। नाक, आंख, और मुंह से खून बहना, वजन में अचानक गिरावट, और मेंटल कंफ्यूजन इसके लक्षणों में शामिल हैं। यह वायरस पहली बार 1961 में जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में पाया गया था।
इलाज: चुनौतियां और वर्तमान स्थिति
वर्तमान में मारबर्ग वायरस का कोई सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। मृत्यु दर 24% से 88% तक हो सकती है। ट्रीटमेंट लक्षणों के आधार पर किया जाता है, जिसमें ब्लड प्रोडक्ट्स, इम्यून थैरेपी, और अन्य दवाओं का उपयोग किया जा रहा है। हालांकि, इस वायरस की कोई वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरुआती चरण में है।
बचाव: सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार
- संक्रमण वाले क्षेत्रों में जाने से बचें।
- सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का उपयोग करें।
- बार-बार हाथ धोने की आदत डालें।
- संक्रमित व्यक्तियों से सीधे संपर्क से बचें।
मारबर्ग वायरस संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क और उनके शरीर के तरल पदार्थों से फैलता है। इससे बचाव के लिए निम्न सावधानियां अपनाएं:
मारबर्ग वायरस का प्रकोप एक नई चुनौती है, जिससे बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता बेहद जरूरी है।