डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: क्रिकेटर आर अश्विन की हालिया टिप्पणी ने हिंदी को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। तमिलनाडु में एक कॉलेज के ग्रेजुएशन सेरेमनी में पहुंचे अश्विन ने कहा, हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है, यह केवल आधिकारिक भाषा है। यह बयान उन्होंने तमिल भाषा में दिया। अश्विन ने समारोह के दौरान छात्रों से संवाद किया और कई सवाल पूछे। उन्होंने अंग्रेजी, तमिल और हिंदी को लेकर प्रतिक्रिया ली। जहां अंग्रेजी और तमिल समझने वालों ने जोरदार प्रतिक्रिया दी, वहीं हिंदी पर सन्नाटा छा गया।
तमिलनाडु में हिंदी पर पुराना विवाद
अश्विन का बयान ऐसे समय में आया है जब तमिलनाडु में हिंदी भाषा का मुद्दा हमेशा से विवादित रहा है। राज्य में कई लोग हिंदी को थोपने के केंद्र सरकार के प्रयासों का विरोध करते रहे हैं। इस बयान के बाद डीएमके समेत अन्य विरोधी दलों ने केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है।
भाजपा नेता अन्नामलाई का समर्थन
तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने अश्विन का समर्थन करते हुए कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, बल्कि एक संपर्क भाषा है जो सुविधा के लिए इस्तेमाल होती है। अन्नामलाई ने इस मुद्दे पर कहा, हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में देखा जाना चाहिए, इसे किसी पर थोपा नहीं जा सकता।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
अश्विन के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कई लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, तो कई उन्हें ट्रोल कर रहे हैं। तमिलनाडु के बाहर भी इस बयान पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
सपा नेता का जवाब
समाजवादी पार्टी के नेता फखरुल हसन चंद ने कहा, हिंदी एक खूबसूरत भाषा है और इसे हर किसी को अपनाना चाहिए। भारत एक बड़ा देश है, जहां हर क्षेत्र में भाषा बदलती है, लेकिन हिंदी देश को जोड़ने का काम करती है।
विवाद के बाद बढ़ी बहस
अश्विन के बयान ने एक बार फिर हिंदी को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस को जन्म दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे और क्या राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं सामने आती हैं।