बिहार में फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। राज्य के शिक्षा विभाग ने 68 हजार से अधिक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच कराने का निर्णय लिया है। ये सभी शिक्षक दूसरे राज्यों के निवासी हैं और उनके प्रमाण पत्रों के सत्यापन में गड़बड़ी की संभावना जताई गई है।
सबसे अधिक BPSC से चयनित शिक्षक निशाने पर
इन 68 हजार शिक्षकों में 24 हजार शिक्षक बीपीएससी परीक्षा के माध्यम से बहाल हुए हैं। अब इन शिक्षकों के सीटीईटी और सक्षमता परीक्षा के प्रमाण पत्रों की गहन जांच की जाएगी। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर जांच में किसी का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया, तो उसे तुरंत सस्पेंड कर कार्रवाई की जाएगी।
जांच के दौरान भी जारी रहेगी नौकरी
शिक्षा निदेशक पंकज कुमार ने बताया कि जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए जाएंगे, उन्हें जांच पूरी होने तक नौकरी जारी रखने की अनुमति होगी। लेकिन यदि प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए, तो न केवल उनकी सेवा समाप्त की जाएगी, बल्कि उनसे वेतन की वसूली भी की जाएगी।
76 हजार स्कूलों में 5.5 लाख शिक्षक कार्यरत
बिहार के 76 हजार से अधिक स्कूलों में करीब 5.5 लाख शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से 68 हजार शिक्षक दूसरे राज्यों से हैं। शिक्षा विभाग अब इन शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की सत्यता की पुष्टि कर रहा है।
निगरानी विभाग भी कर रहा जांच
निगरानी विभाग की ओर से भी 80 हजार से अधिक शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जा रहा है। जो शिक्षक सस्पेंड हैं, उन्हें बहाली के लिए इंतजार करना होगा। साथ ही, अन्य विषयों से पास शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है।
कठोर कार्रवाई की चेतावनी
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर कठोर कार्रवाई होगी। इससे न केवल दोषी शिक्षकों पर नकेल कसी जाएगी, बल्कि शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी।