धनबाद: झारखंड मिनरल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (झमाडा) के दिवंगत कर्मियों के आश्रितों द्वारा अनुकंपा के आधार पर नौकरी की मांग को लेकर पिछले तीन वर्षों से आंदोलन जारी है। बुधवार को स्थिति गंभीर हो गई जब आश्रितों ने झामाडा कार्यालय के सामने आत्मदाह करने का प्रयास किया। इससे पहले उन्होंने प्रशासन को चेतावनी दी थी, जिससे अधिकारी सतर्क हो गए थे।
प्रशासन की मुस्तैदी, सुरक्षा के कड़े इंतजाम
आत्मदाह की चेतावनी को देखते हुए प्रशासन ने कार्यालय के बाहर मजिस्ट्रेट की तैनाती की और भारी संख्या में पुलिस बल भी मौजूद रहा। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए 108 एंबुलेंस और दमकल वाहन भी तैनात किए गए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वे जब तक नौकरी का स्पष्ट आश्वासन नहीं पा लेते, तब तक पीछे नहीं हटेंगे।
प्रशासन और पुलिस ने किया समझाने का प्रयास
स्थिति बिगड़ने से रोकने के लिए धनबाद थाना प्रभारी भी मौके पर पहुंचे और आंदोलनकारियों को शांत कराने का प्रयास किया। लगभग एक घंटे तक समझाने-बुझाने के बाद प्रदर्शनकारी झमाडा के एमडी से वार्ता के लिए सहमत हुए।
एमडी संग वार्ता, लेकिन समाधान नहीं
इसके बाद झमाडा कार्यालय में एमडी और आंदोलनकारियों के बीच बैठक हुई, जिसमें मजिस्ट्रेट रामनारायण, सचिव प्रकाश कुमार सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। एमडी ने आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि विभाग को चार दिनों के भीतर पत्र भेजकर मार्गदर्शन मांगा जाएगा। लेकिन आंदोलनकारी तत्काल पत्र भेजने की मांग पर अड़े रहे और इस आश्वासन से असंतुष्ट नजर आए।
संघर्ष जारी, समाधान की राह मुश्किल
झमाडा के एचडी रविराज शर्मा ने बताया कि विभाग को पत्र भेजकर निर्देश मांगे गए हैं और आंदोलनकारियों से 4 फरवरी तक का समय देने की अपील की गई है। हालांकि, आंदोलनकारी इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हुए और अपनी मांगों पर अड़े रहे।
स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि झमाडा प्रबंधन और प्रशासन के लिए यह मामला चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। अब देखना होगा कि अगले कुछ दिनों में कोई ठोस समाधान निकलता है या आंदोलन और तेज होगा।


 
			 
			 
                                 
                             