नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बाल हिरासत विवाद से जुड़े अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान गहरी हैरानी और नाराजगी व्यक्त की जब यह सामने आया कि आरोपी, जिसका पासपोर्ट कोर्ट के पास जमा था, अमेरिका भागने में सफल हो गया।
यह मामला तब और गंभीर हो गया जब अदालत को 29 जनवरी को सूचित किया गया कि आरोपी भारत छोड़ चुका है, जबकि इससे पहले उसे अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा करने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “हम इस बात से स्तब्ध हैं कि एक व्यक्ति बिना पासपोर्ट के अमेरिका या किसी अन्य देश कैसे जा सकता है, जबकि उसका पासपोर्ट इस कोर्ट की हिरासत में है।”
कोर्ट ने जारी किया गैर-जमानती वारंट, गृह मंत्रालय को दिए कड़े निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए गृह मंत्रालय को निर्देश दिया कि उसे गिरफ्तार कर भारत लाने के लिए सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएं ताकि वह न्याय के समक्ष पेश हो सके।
इसके अलावा, अदालत ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) के.एम. नटराज को निर्देश दिया कि वह कोर्ट को इस विषय में पूरी जानकारी दें कि “प्रतिवादी को बिना पासपोर्ट और कोर्ट की अनुमति के देश छोड़ने की अनुमति कैसे मिली?”
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि गृह मंत्रालय यह जांच करे कि “आरोपी के देश से भागने में किसने सहायता की और इसमें कौन-कौन से अधिकारी या अन्य व्यक्ति शामिल थे?”
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट एक बाल हिरासत (child custody) मामले में अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस केस में अदालत ने आरोपी को अपने बच्चे को याचिकाकर्ता (मां) को सौंपने का आदेश दिया था, लेकिन उसने इस आदेश का पालन नहीं किया।
इसके अलावा, कोर्ट ने आरोपी को निर्देश दिया था कि वह हर सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हो। लेकिन 22 जनवरी 2025 को, आरोपी के वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह 29 जनवरी 2025 को उपस्थित होगा। जब 29 जनवरी को सुनवाई हुई, तो प्रतिवादी के सीनियर वकील विकास सिंह ने कोर्ट को चौंकाने वाली जानकारी दी कि “वह USA के लिए रवाना हो गया है।”
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों जताई कड़ी नाराजगी?
कोर्ट का गुस्सा इस बात को लेकर था कि एक व्यक्ति बिना पासपोर्ट के देश से बाहर कैसे जा सकता है, जबकि उसका पासपोर्ट कोर्ट में जमा था। यह मामला सुरक्षा एजेंसियों और इमिग्रेशन विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है।
अब कोर्ट ने गृह मंत्रालय को जांच के आदेश दिए हैं कि आरोपी के देश से भागने में किन अधिकारियों या अन्य लोगों की भूमिका थी। अगर कोई चूक हुई है या किसी ने जानबूझकर मदद की है, तो उन पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
आगे क्या होगा?
अब भारत सरकार की एजेंसियां आरोपी को गिरफ्तार कर वापस लाने के प्रयास करेंगी। अगर वह अमेरिका में मौजूद है, तो प्रत्यर्पण (extradition) की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। साथ ही, यह मामला भारतीय न्याय व्यवस्था और सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आरोपी को वापस लाने में भारत सरकार कितनी जल्दी और प्रभावी कार्रवाई करती है।