रांची: झारखंड पुलिस की छवि सुधारने और विभाग में अनुशासन लाने के लिए डीजीपी अनुराग गुप्ता ने कड़ा कदम उठाया है। उन्होंने राज्य के सभी जिलों और इकाइयों को निर्देश दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर उन पुलिस अधिकारियों और कर्मियों की सूची सौंपें, जिन पर भ्रष्टाचार, लापरवाही या अपराधियों से सांठगांठ के आरोप हैं। डीजीपी के इस आदेश के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने सभी डीआईजी को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि ऐसे पुलिस अधिकारी और कर्मी, जिनके संबंध भू-माफियाओं और अपराधियों से हैं, जो ड्यूटी से अक्सर गायब रहते हैं या अनुशासनहीनता में लिप्त हैं, उन्हें चिह्नित कर रिपोर्ट भेजी जाए। उनका मानना है कि इस कार्रवाई से पुलिस की छवि में सुधार होगा और कर्मी जनता के प्रति अधिक जिम्मेदार और अनुशासित होंगे।
इन बिंदुओं पर मांगी गई रिपोर्ट
डीजीपी ने निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर संदिग्ध पुलिसकर्मियों की सूची मांगी है:
- आम नागरिकों, खासकर महिलाओं से दुर्व्यवहार करने के आरोप।
- भू-माफियाओं और आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों से संबंध।
- वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उद्दंड व्यवहार।
- ड्यूटी से बार-बार नदारद रहने की प्रवृत्ति।
- ड्यूटी के दौरान शराब पीने की आदत।
- बिना किसी कारण बार-बार छुट्टी से अनुपस्थित रहना।
- भ्रष्टाचार के आरोप।
पिछले मामलों में हो चुकी है कार्रवाई
गौरतलब है कि डीजीपी कार्यालय में अक्सर पुलिस अधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ शिकायतें आती रही हैं। कहीं पीड़ितों से लाभ के एवज में रिश्वत मांगी जाती है तो कहीं आम नागरिकों व महिलाओं से दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आती हैं।
हाल ही में डीजीपी के निर्देश पर चतरा के हंटरगंज थाना प्रभारी दारोगा मनीष कुमार को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर चाईबासा में पदस्थापित किया गया था। वहीं, एक दिन पहले ही एसीबी ने कोतवाली थाना के दारोगा ऋषिकांत को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। उन्होंने जब्त मोबाइल को मुक्त करने के बदले पांच हजार रुपये की घूस ली थी।
डीजीपी के इस सख्त कदम से साफ है कि अब पुलिस महकमे में अनुशासनहीनता और अपराधियों से सांठगांठ बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
(रिपोर्ट: जयंत कुमार)