लिव-इन रिलेशन में लंबे समय तक रहने के बाद रेप का आरोप नहीं लगा सकती महिला – सुप्रीम कोर्ट

Uday Kumar Pandey
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर कोई महिला लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में रहती है, तो वह अपने साथी पर रेप का आरोप नहीं लगा सकती। शीर्ष अदालत ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। इस मामले में शिकायतकर्ता महिला और आरोपी व्यक्ति एक दशक से अधिक समय तक साथ रहे थे। कोर्ट ने इसे आपसी संबंधों में खटास का मामला मानते हुए आरोपी पुरुष को आपराधिक कार्यवाही से राहत दी है।

16 वर्षों तक चला रिश्ता, फिर आरोप

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला एक बैंक अधिकारी और एक महिला लेक्चरर से जुड़ा हुआ है। महिला ने आरोप लगाया था कि वह शादी के वादे के आधार पर 16 वर्षों तक आरोपी के साथ रिश्ते में थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सुनवाई करते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक सहमति से संबंध बनाए जाने के बाद यह साबित करना मुश्किल है कि शारीरिक संबंध सिर्फ शादी के वादे पर आधारित थे।

रिश्तों में खटास, जबरदस्ती का सवाल नहीं – कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष पढ़े-लिखे और परिपक्व हैं। इतना लंबा समय एक-दूसरे के साथ बिताने के बाद महिला का यह कहना कि आरोपी ने शादी के झूठे वादे के आधार पर उनका यौन शोषण किया, स्वीकार्य नहीं हो सकता। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों अलग-अलग शहरों में रहते हुए भी अक्सर एक-दूसरे के घर आते-जाते रहे, जिससे यह साबित होता है कि यह रिश्ता सहमति पर आधारित था।

16 सालों तक संबंध, फिर रेप का आरोप क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मानना मुश्किल है कि महिला इतने वर्षों तक आरोपी की हर बात मानती रही और अब यह दावा कर रही हैं कि उनके साथ धोखा हुआ है। अदालत ने कहा कि जब इतने लंबे समय तक बिना किसी विरोध के संबंध बने रहे, तो यह साबित होता है कि यह किसी प्रकार का जबरदस्ती किया गया रिश्ता नहीं था।

शादी के वादे का तर्क कमजोर – सुप्रीम कोर्ट

अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यदि यह माना भी जाए कि किसी समय शादी का वादा किया गया था, तो इतने लंबे समय तक लिव-इन रिलेशनशिप में बने रहने से महिला का दावा कमजोर पड़ जाता है। अदालत ने इस मामले को आपसी संबंधों में आई खटास करार देते हुए आरोपी पुरुष को आपराधिक मुकदमे से राहत दी।

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मैं उदय कुमार पाण्डेय, मिरर मीडिया के न्यूज डेस्क पर कार्यरत हूँ।