नई दिल्ली/अगरतला: भारत और बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक संबंधों में एक बार फिर दरार आती दिख रही है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली सरकार लगातार ऐसे कदम उठा रही है, जो भारत के हितों के खिलाफ हैं। ताजा मामला त्रिपुरा की सीमा से जुड़ा है, जहां बांग्लादेश सरकार ने एक विवादित बांध का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
यह बांध मुहुरी नदी के पास, दक्षिणी त्रिपुरा क्षेत्र में बनाया जा रहा है और इसकी लंबाई 1.5 किमी तथा ऊंचाई 20 फीट है। स्थानीय विधायक दिपांकर सेन ने इसे भारत की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन के लिए गंभीर खतरा बताया है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
इंदिरा-मुजीब समझौते का उल्लंघन
यह मुद्दा सिर्फ एक बांध का नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच दशकों पुराने समझौते के उल्लंघन का है। विधायक सेन के अनुसार, भारत और बांग्लादेश के बीच 1970 के दशक में एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था, जिसे ‘इंदिरा-मुजीब समझौता’ कहा जाता है। इसके तहत तय किया गया था कि सीमा रेखा यानी जीरो लाइन से 150 गज के भीतर कोई भी देश निर्माण कार्य नहीं करेगा। लेकिन बांग्लादेश द्वारा बनाया जा रहा यह नया बांध जीरो लाइन से मात्र 10 से 50 गज की दूरी पर स्थित है, जो कि समझौते का स्पष्ट उल्लंघन है।
स्थानीय लोगों में भय का माहौल
नेताजी सुभाष चंद्र नगर क्षेत्र में रहने वाले 500 से अधिक परिवारों में इस निर्माण को लेकर दहशत का माहौल है। जानकारों का कहना है कि इस बांध से बारिश के मौसम में पानी का बहाव रुक जाएगा, जिससे भारतीय क्षेत्र में बाढ़ की आशंका बढ़ जाएगी। इससे पहले भी जनवरी में बांग्लादेश ने एक अन्य इलाके में इसी तरह का बांध बनाया था, जिस पर मुख्यमंत्री मानिक साहा ने चिंता जताई थी।
भारत ने भी शुरू किया जवाबी निर्माण कार्य
बांग्लादेश की इस हरकत के बाद भारत ने भी उसी क्षेत्र में और अधिक ऊंचा बांध बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और अधिक गहराने की आशंका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस विवाद का समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह भारत-बांग्लादेश संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।