नई दिल्ली। पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले ने पूरे भारत को झकझोर दिया है, लेकिन पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ने एक नई और खतरनाक बहस को जन्म दे दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने इस नृशंस कृत्य में शामिल आतंकियों को “स्वतंत्रता सेनानी” बताकर न केवल भारत की संवेदनाओं को ठेस पहुंचाई है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि पड़ोसी मुल्क की सोच अब भी कट्टरपंथ और झूठे नैरेटिव पर टिकी है।
डार ने यह भी कहा कि भारत अपनी असफलताओं और घरेलू राजनीतिक विफलताओं को छुपाने के लिए पाकिस्तान पर आरोप मढ़ रहा है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर भारत के पास सबूत हैं, तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश किया जाए। इस बयान के साथ ही पाकिस्तान ने खुद को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
कूटनीतिक चाल या युद्ध की धमकी?
सिर्फ इतना ही नहीं, डार ने सिंधु जल समझौते को रद्द करने की भारत की संभावित मंशा को ‘युद्ध की घोषणा’ तक करार दिया। उनका कहना था कि 24 करोड़ पाकिस्तानी नागरिकों के लिए पानी एक मौलिक हक है, और उसे रोकना सीधा युद्ध है। इस बयान के साथ पाकिस्तान ने भारत को स्पष्ट शब्दों में चेताया कि अगर ऐसा हुआ, तो अंजाम गंभीर होंगे।
रक्षा मंत्री का दो टूक जवाब—”हम झुकेंगे नहीं”
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तो भारत पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर भारत ने आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान को दोषी ठहराया, तो पाकिस्तान “मुंहतोड़ जवाब” देगा। उन्होंने भारतीय मीडिया को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि यदि कोई भी भारत-पाक टकराव हुआ, तो उसका असर वैश्विक होगा क्योंकि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं।
TTP और BLA के नेताओं पर भारत का नाम घसीटने की कोशिश
पाकिस्तानी सरकार अब यह दावा कर रही है कि खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में जो आतंकवाद फैल रहा है, उसके पीछे भारत का हाथ है। आसिफ ने कहा कि भारत इन संगठनों के नेताओं को मेडिकल सुविधाएं दे रहा है और यह कोई आरोप नहीं बल्कि ‘फैक्ट’ है। यह बयान न सिर्फ भारत की छवि खराब करने का प्रयास है बल्कि पाकिस्तान की फेल होती घरेलू नीतियों को छुपाने का एक पुराना हथकंडा भी।
पाकिस्तान की बयानबाज़ी क्या संकेत देती है?
यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान एक बार फिर “विक्टिम कार्ड” खेल रहा है, लेकिन इस बार उसकी भाषा कहीं अधिक आक्रामक और उकसाने वाली है। आतंकियों को ‘फ्रीडम फाइटर’ बताना वैश्विक मंच पर आत्मघाती बयान है। भारत के प्रति उसकी आक्रामक कूटनीति इस बात का संकेत है कि वह अंदरूनी अस्थिरता और वैश्विक अलगाव से बुरी तरह जूझ रहा है।