दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) DPS बोकारो की मेधावी छात्रा वर्षा चंद्रिका ने अपनी गणितीय प्रतिभा और नवाचार कौशल का शानदार प्रदर्शन करते हुए झारखंड को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। वर्षा का चयन अमेरिका के बोस्टन विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित ग्रीष्मकालीन कार्यक्रम पीआरओएमवाईएस (Program in Mathematics for Young Scientists) इंडिया 2025 के लिए हुआ है। पूरे झारखंड से इस प्रतिष्ठित कार्यक्रम में चयनित होने वाली वह एकमात्र छात्रा हैं। देशभर से केवल 30 विद्यार्थियों को इस वर्ष इस कार्यक्रम में प्रवेश मिला है।
वर्षा चंद्रिका और अन्य चयनित विद्यार्थी 11 मई से 21 जून 2025 तक बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में गणितीय शोध एवं नवाचार गतिविधियों में भाग लेंगे। डीपीएस बोकारो के प्राचार्य डॉ. ए.एस. गंगवार ने वर्षा की इस उपलब्धि पर खुशी व्यक्त करते हुए उसे बधाई दी और आगामी प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए शुभकामनाएं दीं।
वर्षा ने बताया कि इस छह सप्ताह के प्रशिक्षण शिविर में वह गणितीय समस्याओं को हल करने, संख्यात्मक सिद्धांत (नंबर थ्योरी) और प्रमाण आधारित तर्क (प्रूफ बेस्ड रीजनिंग) जैसी गतिविधियों में भाग लेगी। साथ ही उसे नए शोध करने और नवाचार दिखाने का भी अवसर मिलेगा। वर्षा ने इस अवसर को अपने जीवन का “परिवर्तनकारी अनुभव” बताते हुए विद्यालय, प्राचार्य और शिक्षकों का आभार जताया। उसने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रवृत्ति के माध्यम से उसे रहने-ठहरने सहित सभी सुविधाएं नि:शुल्क प्रदान की जाएंगी।
गणित से डर से लेकर अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि तक का सफर
चंद्रपुरा (बोकारो) निवासी डीवीसी कर्मी दिवाकर दास और गृहिणी नमिता कुमारी की पुत्री वर्षा ने बताया कि पहले वह गणित से डरती थी, लेकिन शिक्षकों के मार्गदर्शन में धीरे-धीरे उसकी गणित में रुचि बढ़ी और यह उसका पसंदीदा विषय बन गया। वर्तमान में वह गणितीय ओलंपियाड सहित विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी कर रही है और प्रतिदिन लगभग सात घंटे पढ़ाई करती है। उसका सपना है कि वह भविष्य में क्वांटम फिजिक्स की वैज्ञानिक बने। वर्षा ने वैज्ञानिक मैडम क्यूरी को अपनी प्रेरणा स्रोत बताया।
पढ़ाई के साथ-साथ वर्षा को तकनीकी शोध और पेंटिंग का भी शौक है। उसके पिता दिवाकर दास ने बताया कि वर्षा बचपन से ही विश्लेषणात्मक सोच और वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाली रही है। वर्षा की इस उपलब्धि ने न केवल उसके परिवार को, बल्कि पूरे बोकारो और झारखंड को गर्व से भर दिया है।