मिरर मीडिया संवाददाता, रांची: झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) द्वारा जारी मुख्य परीक्षा के परिणाम पर भाजपा ने गंभीर सवाल उठाए हैं। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रदेश मुख्यालय में प्रेस वार्ता कर आयोग की प्रक्रिया पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आरक्षण के श्रेणीवार परिणाम प्रकाशित नहीं कर जेपीएससी ने इस परीक्षा को भी संदिग्ध बना दिया है।
प्रतुल ने तीखा हमला करते हुए कहा, “जेपीएससी का रिजल्ट किसी लॉटरी की तरह प्रतीत हो रहा है, जिसमें आरक्षित वर्गों—एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस—के अभ्यर्थियों को कितना प्रतिनिधित्व मिला, यह स्पष्ट नहीं है।” उन्होंने कहा कि यदि आयोग वास्तव में पारदर्शिता में विश्वास रखता है, तो उसे श्रेणीवार कटऑफ और चयन सूची सार्वजनिक करनी चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का हवाला देते हुए कहा कि इन अनुच्छेदों में आरक्षित वर्गों को अवसर देने का स्पष्ट प्रावधान है। बावजूद इसके जेपीएससी ने किसी भी श्रेणी का उल्लेख तक नहीं किया, जिससे यह संदेह और गहरा होता है कि क्या आरक्षण नीति का पालन हुआ भी या नहीं।
‘कटऑफ कम करने का प्रावधान था, फिर भी पारदर्शिता नहीं’
प्रतुल शाहदेव ने बताया कि 19 दिसंबर 2023 को राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विस एग्जामिनेशन रूल्स 2023 को गजट में अधिसूचित किया था, जिसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि मुख्य परीक्षा में सभी आरक्षित श्रेणियों के लिए अलग-अलग कटऑफ निर्धारित किया जाएगा। इसके साथ ही नियम में यह भी कहा गया है कि लिखित परीक्षा के परिणाम में प्रत्येक श्रेणी से ढाई गुना से अधिक उम्मीदवारों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा।
“जब नियम इतने स्पष्ट हैं, तो फिर जेपीएससी परिणाम में श्रेणीवार कोई विवरण क्यों नहीं दिया गया?”—प्रतुल ने सवाल उठाते हुए कहा।
‘झारखंड के बाहर के उम्मीदवारों को मिल रहा अधिक लाभ?
‘प्रतुल ने यह आशंका भी जताई कि क्या इस बार भी झारखंड के स्थानीय अभ्यर्थियों की अनदेखी कर बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई? उन्होंने मांग की कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए और आयोग को तत्काल श्रेणीवार परिणाम सार्वजनिक करने का निर्देश देना चाहिए। अन्यथा, जेपीएससी की निष्पक्षता एक बार फिर सवालों के घेरे में आ जाएगी।