मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। तहव्वुर राणा की याचिका पर आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। राणा ने कोर्ट से अपने परिवार से बात करने की परमीशन मांगी थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया है। फिलहाल कोर्ट की तरफ से केवल एक बार ही बात करने की इजाजत दी गई है।

राणा को एनआईए ने हिरासत में लिया गया तब उसने परिवार से बात करने की इच्छा जताई थी। राणा के वकील की ओर से तर्क दिया गया था कि एक विदेशी नागरिक के तौर पर राणा का यह मौलिक अधिकार है कि वह अपने परिवार से बातचीत करे। राणा का परिवार उसकी भलाई को लेकर चिंतित है।
जेल अधिकारी की निगरानी में होगी बातचीत
पटियाला हाउस कोर्ट ने बातचीत की अनुमति देते हुए कहा कि यह कॉल जेल नियमों के अनुसार और तिहाड़ जेल अधिकारी की निगरानी में होगी। कोर्ट ने राणा के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर 10 दिनों में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। जिसमें इस बात पर उनका रुख स्पष्ट किया गया है कि क्या जेल मैनुअल के अनुसार राणा को भविष्य में नियमित फोन कॉल की अनुमति दी जानी चाहिए।
पहले खारिज हो गई थी याचिका
इससे पहले 24 अप्रैल को विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने राणा की अपने परिवार से बात करने की अनुमति मांगने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। एनआईए द्वारा उसकी याचिका का विरोध करने के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया था। सुनवाई के दौरान, एनआईए ने तर्क दिया कि अगर राणा को अपने परिवार के सदस्यों से बात करने की अनुमति दी जाती है, तो वह बातचीत के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कर सकता है।
मुंबई आतंकी हमलों का आरोपी
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। वह डेविड कोलमैन हेडली का करीबी साथी है, जिसने मुंबई हमले से पहले कई जगहों की रेकी की थी।जांचकर्ताओं का मानना है कि तहव्वुर राणा ने कंसल्टेंसी फर्म की आड़ में ही डेविड हेडली से रेकी का पूरा काम कराया। साल 2008 में मुंबई में पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने घुसकर शहरभर में हमले किए थे। इन बर्बर हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों और कुछ यहूदियों समेत 166 लोग मारे गए थे।