डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर: झारखंड के शिक्षा मंत्री ने स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और जिला स्कूल शिक्षा (डीएसई) को प्रत्येक सप्ताह स्कूलों में बच्चों की क्लास लेने का निर्देश दिया है। यह निर्णय शिक्षा विभाग की एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया, जिसमें शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों और अधिकारियों को शिक्षा को सेवा भाव के रूप में अपनाने की सलाह दी।
बैठक में शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि शिक्षक का कार्य केवल नौकरी नहीं, बल्कि बच्चों को ज्ञान बांटने की एक पवित्र सेवा है। उन्होंने डीईओ और डीएसई को स्कूलों में नियमित रूप से कक्षाएं लेने का आदेश दिया ताकि वे बच्चों के साथ सीधा संपर्क स्थापित कर सकें और शिक्षण की गुणवत्ता को बेहतर ढंग से समझ सकें। मंत्री ने जोर देकर कहा कि इससे न केवल शिक्षण प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि अधिकारियों को स्कूलों की वास्तविक स्थिति का भी पता चलेगा।
बैठक में डीईओ रामदास सोरेन ने भी अपनी बात रखी और शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए कई सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और अधिकारियों को बच्चों के समग्र विकास पर ध्यान देना चाहिए। सोरेन ने स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं, शिक्षण सामग्री और शिक्षकों की ट्रेनिंग पर विशेष जोर दिया। शिक्षा मंत्री ने इस पहल के पीछे का उद्देश्य बताते हुए कहा कि डीईओ और डीएसई का क्लासरूम में सक्रिय भागीदारी से शिक्षकों को प्रेरणा मिलेगी और बच्चों में भी पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ेगी। साथ ही, इससे शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्कूलों की समस्याओं को करीब से समझने का मौका मिलेगा, जिससे नीतिगत निर्णय लेने में आसानी होगी।
शिक्षा विभाग ने इस निर्देश को लागू करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने की बात कही है। इसके तहत डीईओ और डीएसई को सप्ताह में कम से कम एक दिन स्कूलों में पढ़ाने के लिए रोस्टर बनाया जाएगा। साथ ही, स्कूलों में शिक्षण की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे की स्थिति पर निगरानी रखने के लिए एक समीक्षा तंत्र भी स्थापित किया जाएगा।
शिक्षा मंत्री ने शिक्षकों से अपील की कि वे अपने कार्य को नौकरी के बजाय एक मिशन के रूप में देखें। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज के भविष्य को आकार देने वाले कर्णधार हैं, और उनकी मेहनत और समर्पण से ही बच्चों का भविष्य उज्जवल हो सकता है।