धनबाद | झारखंड के खनन विभाग की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जीआईएमएमएस (GIMMS) पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों और दस्तावेजों की ऑडिट जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। धनबाद जिले में खनन विभाग ने दो डिफॉल्टर कंपनियों को खनन लीज (Mining Lease) स्वीकृत कर दी, जबकि छह अन्य मामलों में जरूरी दस्तावेज अधूरे पाए गए हैं। यह खुलासा राज्य सरकार द्वारा कराए गए विशेष ऑडिट में हुआ है।
📌 क्या है मामला?
झारखंड सरकार के निर्देश पर राज्य खनन निदेशालय ने धनबाद, साहिबगंज, पाकुड़, चाईबासा, पलामू और चतरा जिलों में माइनिंग लीज स्वीकृति से जुड़े मामलों की गहन जांच करवाई। इसके लिए नवंबर 2023 में विशेष ऑडिट टीम का गठन किया गया था, जिसने 727 लीज मामलों की जांच की।
🔍 धनबाद में लीज स्वीकृति में मिलीं गंभीर खामियां:
धनबाद जिले में कुल 127 लीजों की जांच की गई, जिनमें से 42 लीज वर्ष 2017 से 2022 के बीच स्वीकृत की गई थीं।
इनमें दो लीज ऐसे माइनर्स को दी गईं जो पहले से डिफॉल्टर थे — यानी जिन्होंने पहले की लीज शर्तों का पालन नहीं किया था।
छह अन्य लीजों में आवश्यक दस्तावेज अधूरे थे, फिर भी लीज स्वीकृति दे दी गई।
इससे यह स्पष्ट होता है कि खनन विभाग ने नियमों और मानकों की अनदेखी कर मनमानी लीज दी।
📊 पूरे राज्य में क्या सामने आया ऑडिट में?
599 लीज मामलों की जांच की गई जिसमें 344 में अनियमितताएं सामने आईं।
इनमें से 128 लीज मामले बेहद गंभीर माने गए हैं।
वर्ष 2017-2022 के बीच 279 नई लीजों की स्वीकृति दी गई, जिनमें कई मामलों में फाइलें अधूरी थीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विभाग ने बिना सही दस्तावेज और बैकग्राउंड चेक के ही कंपनियों को खनन की अनुमति दी।
❗ डिफॉल्टर को कैसे मिली लीज?
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि संबंधित अधिकारियों ने पूर्ववर्ती लीज की शर्तों के उल्लंघन और बकाया भुगतान जैसे मामलों की जांच नहीं की। इसके बावजूद दो डिफॉल्टरों को दोबारा खनन करने की अनुमति दी गई, जो नियमानुसार पूर्णतः अवैध है