डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: बिहार के बांका जिले के बौंसी प्रखंड में स्थित मिश्राचक गांव का सूर्याश्रम भवन श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है। इस भवन में पिछले 30 वर्षों से सैकड़ों घरों की छठ पूजा होती आ रही है, जिसे देखकर इसका नाम सूर्याश्रम रख दिया गया है। इस स्थान पर पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति इसे विशेष बनाती है।
सास-बहू की जोड़ी सजाती हैं 850 सूप प्रसाद
इस भवन में परिवार की दो व्रतियां – सास इंदु देवी (70 वर्ष) और उनकी बहू बिंदु देवी (46 वर्ष) – मिलकर छठ पूजा की तैयारियां करती हैं। इंदु देवी 400 सूप जबकि बिंदु देवी 450 सूप सजाकर भगवान भास्कर को अर्पण करती हैं। इस पूरे आयोजन में परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी पूर्ण सहयोग देते हैं, जिससे पर्व और भी भव्य रूप लेता है।
पांच पीढ़ियों से चल रही परंपरा
परिवार की व्रतियों ने बताया कि पांच पीढ़ी पहले दिवंगत युगल मिश्र ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। आज उनकी पांचवीं पीढ़ी के सदस्य राजीव मिश्रा, संजीव मिश्रा और राजकिशोर मिश्रा छठ पर्व की यह परंपरा निभा रहे हैं। इंदु देवी बताती हैं कि उनकी सास पार्वती देवी ने छठ पूजा शुरू की थी और उनके बाद वह यह पूजा नेम-निष्ठा से कर रही हैं।
छठ में दूर-दूर से आते हैं यजमान
सूर्याश्रम भवन में छठ पूजा के लिए न केवल गांव से बल्कि दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, पटना जैसे शहरों से भी श्रद्धालु सूप पूजा के लिए अपना योगदान देते हैं। ये यजमान आर्थिक सहायता के रूप में अपना सहयोग भेजते हैं, ताकि परिवार इस महापर्व को शानदार ढंग से मना सके। छठ के लिए ठेकुआ, खरना का प्रसाद और अन्य सामग्री गांव के लोग मिलकर तैयार करते हैं, जिसमें एक क्विंटल सामग्री का उपयोग किया जाएगा।
नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का शुभारंभ
मंगलवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का प्रारंभ हुआ। पहले दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देकर व्रत की शुरुआत की गई, जबकि बुधवार को खरना मनाया जाएगा, जिसमें दिनभर उपवास रखने के बाद व्रती शाम को भोजन करेंगे। गुरुवार को व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखेंगे और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। छठ महापर्व का समापन शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा।
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