झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं, और इसके साथ ही राज्य में राजनीतिक हलचल भी बढ़ती जा रही है। चुनाव की तैयारी के बीच सरकार द्वारा अधिकारियों के लगातार तबादले और पोस्टिंग का सिलसिला जारी है। खास बात यह है कि यह तबादले ऐसे समय में हो रहे हैं जब राज्य में दुर्गा पूजा जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जा रहे हैं। इससे न केवल अधिकारियों में असंतोष की भावना जन्म ले रही है, बल्कि प्रशासनिक मोर्चे पर भी नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। और विकास, सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहें हैं।
पूजा के बीच नगर आयुक्त सहित कई BDO का तबादला
सोमवार को झारखंड सरकार ने एक बड़े फैसले के तहत 108 प्रखंड विकास पदाधिकारियों (BDO) का तबादला कर दिया। इसमें धनबाद नगर निगम के नगर आयुक्त का तबादला भी शामिल है, जो कि पूजा के बीच अचानक किया गया। इसके साथ ही, कई अंचल अधिकारियों के तबादले की सूची भी जारी की गई, लेकिन कुछ आदेशों को बाद में विलोपित कर दिया गया, जिसने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी पुलिस और आईएएस अधिकारियों का बड़े पैमाने पर तबादला किया गया था, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि चुनाव की रणनीति के तहत सरकार यह कदम उठा रही है।
पूजा में ट्रांसफर पोस्टिंग से अधिकारियों में नाराजगी
दुर्गा पूजा जैसे महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान तबादला आदेश जारी होने से अधिकारी नाराज और परेशान हैं। अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने उन्हें पूजा के समय भी चैन से नहीं रहने दिया। अधिकारी दबी जुबान से यह भी कह रहें हैं कि कम से कम पूजा के समय तो हमें निश्चित होकर त्योहार मनाने का मौका मिलना चाहिए था, लेकिन सरकार की यह कार्रवाई हमारे पारिवारिक और सामाजिक जीवन पर भी प्रभाव डाल रही है।
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इस प्रकार के अचानक तबादलों ने न केवल अधिकारियों को अस्थिर किया है, बल्कि उनके कार्यक्षेत्र में भी कठिनाइयाँ पैदा की हैं। त्योहारों के समय अधिकारियों के स्थानांतरण से स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी असर पड़ रहा है, जो सामान्य रूप से इस समय त्योहारों की तैयारियों और कानून-व्यवस्था के संचालन में व्यस्त रहते हैं।
विधानसभा चुनाव में चुनावी रणनीति या जल्दबाजी?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में चुनावी माहौल गरमाने के साथ ही इस प्रकार के तबादले सरकार की एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि, कुछ लोग यह भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या सरकार इन तबादलों में जल्दबाजी कर रही है? कुछ ट्रांसफर आदेशों का विलोपित होना इस दिशा में भी इशारा करता है कि निर्णय बिना पूरी तैयारी के लिए जा रहे हैं।
चुनाव से पहले प्रशासनिक पुनर्गठन
राज्य में चुनावों से पहले प्रशासनिक ढांचे को पुनर्गठित करने का सिलसिला हर सरकार के लिए एक सामान्य प्रक्रिया रही है। चुनावी वर्ष में अधिकारियों की जिम्मेदारियों में फेरबदल कर सरकार चुनावी तैयारियों को चुस्त-दुरुस्त करना चाहती है। हालांकि, दुर्गा पूजा जैसे समय पर इस तरह के फैसलों ने सरकार की नीति पर सवालिया निशान उठा रहें हैं।
गौरतलब है कि झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल अपनी तैयारियों में जुटे हैं। ऐसे में अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग से यह साफ है कि सरकार चुनाव से पहले सभी मोर्चों पर खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। अब देखना यह है कि चुनावी मैदान में यह रणनीति कितनी सफल साबित होती है और इन तबादलों का राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर कितना प्रभाव पड़ता है।