डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: सनातन धर्म में देव दीवाली को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो दीपावली के 15 दिन बाद पड़ता है। इस दिन भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिससे यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक बन गया। इस दिन विशेष रूप से पूजा-पाठ, गंगा स्नान और दीपदान किए जाते हैं, ताकि शुभ फलों की प्राप्ति हो सके।
स्वर्ग से देवगणों का आगमन
देव दीवाली के दिन विशेष मान्यता है कि स्वर्ग से देवगण पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन लोग अपने कष्टों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने का अवसर पाते हैं।
श्री हरि के 108 नामों का जाप
देव दीवाली के अवसर पर श्री हरि के 108 नामों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इन नामों का जाप न केवल आत्मिक शांति और आशीर्वाद का कारण बनता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और खुशहाली भी लाता है।
श्री हरि के 108 नामों की सूची
- ऊँ श्री प्रकटाय नम:
- ऊँ श्री वयासाय नम:
- ऊँ श्री हंसाय नम:
- ऊँ श्री वामनाय नम:
- ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नम:
- ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:
- ऊँ श्री प्रभवे नम:
- ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
- ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम:
- ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नम:
- ऊँ श्री विराटपुरुषाय नम:
- ऊँ श्री अक्रूराय नम:
- ऊँ श्री सुलोचनाय नम:
- ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नम:
- ऊँ श्री विशुद्धात्मने नम :
- ऊँ श्री श्रीपतये नम:
- ऊँ श्री आनन्दाय नम:
- ऊँ श्री कमलापतये नम:
- ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नम:
- ऊँ श्री महाबलाय नम:
- ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
- ऊँ श्री सुरेशाय नम:
- ऊँ श्री ईश्वराय नम:
- ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:
- ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नम:
- ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:
- ऊँ श्री योगिनेय नम:
- ऊँ श्री दयानिधि नम:
- ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
- ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नम:
- ऊँ श्री कमलनयनाय नम:
- ऊँ श्री शंख भृते नम:
- ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नम:
- ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
- ऊँ श्री हयग्रीवाय नम:
- ऊँ श्री कपिलेश्वराय नम:
- ऊँ श्री महीधराय नम:
- ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:
- ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नम:
- ऊँ श्री सप्तवाहनाय नम:
- ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नम:
- ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:
- ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नम:
- ऊँ श्री लोकनाथाय नम:
- ऊँ श्री वंशवर्धनाय नम:
- ऊँ श्री एकपदे नम:
- ऊँ श्री धनुर्धराय नम:
- ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
- ऊँ श्री केश्वाय नम:
- ऊँ श्री धनंजाय नम:
- ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नम:
- ऊँ श्री शान्तिदाय नम:
- ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नम:
- ऊँ श्री वाराहय नम:
- ऊँ श्री नरसिंहाय नम:
- ऊँ श्री रामाय नम:
- ऊँ श्री शोकनाशनाय नम:
- ऊँ श्री श्रीहरये नम:
- ऊँ श्री गोपतये नम:
- ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम:
- ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:
- ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:
- ऊँ श्री कृष्णाय नम:
- ऊँ श्री विश्वातमने नम:
- ऊँ श्री गोविन्दाय नम:
- ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नम:
- ऊँ श्री दामोदराय नम:
- ऊँ श्री अच्युताय नम:
- ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नम:
- ऊँ श्री वासुदेवाय नम:
- ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नम:
- ऊँ श्री नर-नारायणा नम:
- ऊँ श्री जनार्दनाय नम:
- ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:
- ऊँ श्री विष्णवे नम:
- ऊँ श्री केशवाय नम:
- ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:
- ऊँ श्री सत्यधर्माय नम:
- ऊँ श्री परमात्मने नम:
- ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:
- ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम:
- ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
- ऊँ श्री माधवाय नम:
- ऊँ श्री अनन्तजिते नम:
- ऊँ श्री महेन्द्राय नम:
- ऊँ श्री नारायणाय नम:
- ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नम:
- ऊँ श्री प्रजापतये नम:
- ऊँ श्री भूभवे नम:
- ऊँ श्री प्राणदाय नम:
- ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:
- ऊँ श्री सुरेशाय नम:
- ऊँ श्री जगतगुरूवे नम:
- ऊँ श्री सनातन नम:
- ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नम:
- ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नम:
- ऊँ श्री एकातम्ने नम:
- ऊँ श्री शत्रुजिते नम:
- ऊँ श्री घनश्यामाय नम:
- ऊँ श्री वामनाय नम:
- ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
- ऊँ श्री धनेश्वराय नम:
- ऊँ श्री भगवते नम:
- ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
- ऊँ श्री परमेश्वराय नम:
- ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:
- ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नम:
- ऊँ श्री प्रजापतये नम:
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