बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा और अत्याचार के बीच इस्कॉन के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को बड़ा झटका लगा है। राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दी। कोर्ट ने यह फैसला इस आधार पर दिया कि उनके वकील के पास कानूनी पैरवी के लिए आवश्यक “पावर ऑफ अटॉर्नी” नहीं था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 2 जनवरी 2025 को होगी।
क्या है मामला?
चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इससे पहले 26 नवंबर को भी उनकी जमानत याचिका खारिज की जा चुकी है। 3 दिसंबर को होने वाली सुनवाई अभियोजन पक्ष के आग्रह पर टाल दी गई क्योंकि चिन्मय कृष्ण दास की ओर से कोई वकील कोर्ट में पेश नहीं हुआ था।
कोर्ट में हंगामा और विरोध
चटगांव कोर्ट में जब वरिष्ठ वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता रवींद्र घोष ने चिन्मय कृष्ण दास के लिए जमानत याचिका दाखिल की, तो 30 से अधिक वकीलों ने उनका विरोध किया। वकीलों ने घोष पर इस्कॉन और चिन्मय का एजेंट होने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां कीं। घोष ने दावा किया कि इन वकीलों ने उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश की।
हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले
शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों में तेजी आई है। अल्पसंख्यक हिंदुओं के घरों, व्यवसायों और धार्मिक स्थलों को व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया जा रहा है। लूटपाट और हिंसा के ये मामले बांग्लादेश में धार्मिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यकों की स्थिति को उजागर करते हैं।
क्या होगा आगे?
अब चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर सुनवाई 2 जनवरी को होगी। वकील रवींद्र घोष ने इस मामले में न्याय के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बांग्लादेश में हो रहे हिंदू उत्पीड़न का मुद्दा उठाने की भी मांग की है।
यह घटना न केवल बांग्लादेश में न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों पर भी गंभीर चिंताएं उत्पन्न करती है।