महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 में हुए बम धमाके के 17 साल बाद NIA की विशेष अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी सातों आरोपियों — जिसमें भोपाल से बीजेपी की पूर्व सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल (निलंबित) प्रसाद पुरोहित शामिल हैं — को सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया है।
🔥 क्या था मामला?
29 सितंबर 2008 को नासिक जिले के मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस बम धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।
पहले जांच की जिम्मेदारी महाराष्ट्र एटीएस के पास थी, लेकिन 2011 में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया। इसके बाद NIA ने 2016 में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
🧑⚖️ कोर्ट का क्या रहा फैसला?
NIA स्पेशल कोर्ट ने कहा कि:
प्रॉसिक्यूशन यह साबित नहीं कर पाया कि विस्फोटक मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की ही थी।
चेसिस नंबर और अन्य तकनीकी साक्ष्य जुटाने में जांच एजेंसियां नाकाम रहीं।
प्रसाद पुरोहित के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले कि उन्होंने बम तैयार किया या सप्लाई किया।
घटनास्थल से साक्ष्य उचित तरीके से इकट्ठा नहीं किए गए, यहां तक कि सबूतों के दूषित होने की भी संभावना बताई गई।
चश्मदीदों ने बार-बार अपने बयान बदले जिससे मामले की विश्वसनीयता प्रभावित हुई।
🧾 अदालत की टिप्पणी:
“ATS और NIA की चार्जशीटों में स्पष्ट अंतर है।”
“किसने बम प्लांट किया, यह साबित नहीं हो पाया।”
“पैसों का लेन-देन जरूर हुआ, लेकिन यह आतंकी गतिविधियों से नहीं जुड़ा।”
👥 कौन-कौन थे आरोपी?
- साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर – विस्फोट में इस्तेमाल मोटरसाइकिल की कथित मालिक
- ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित – आरडीएक्स सप्लाई का आरोप
- रमेश उपाध्याय – सेवानिवृत्त मेजर
- अजय राहिरकर – अभिनव भारत के कोषाध्यक्ष
- सुधाकर चतुर्वेदी
- समीर कुलकर्णी
- सुधाकर द्विवेदी (दयानंद पांडे)
इन सभी पर यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया था। लेकिन कोर्ट ने कहा कि इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले।
📌 8 मई को आना था फैसला
मूल रूप से यह फैसला 8 मई को सुनाया जाना था, लेकिन अदालत ने तकनीकी कारणों से फैसला सुरक्षित रखते हुए आज यानी 31 जुलाई 2025 को सुनाया।

