बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस बीच बिहार के 17 राजनीतिक दलों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल भारत निर्वाचन आयोग ने शनिवार को 334 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपीएस) को चुनावी सूची से हटा दिया है। इस सूची में बिहार के 17 राजनीतिक दल शामिल हैं।
क्यों चुनाव आयोग ने की कार्रवाई
इलेक्शन कमीशन ने शनिवार को देश भर के 334 दलों को राजनीतिक दलों की सूची से हटाया दिया गया है। चुनाव आयोग ने कहा कि ये राजनीतिक दल 2019 से अब तक पिछले छह वर्षों में एक भी चुनाव लड़ने के आवश्यक मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे हैं। इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, इन पार्टियों के कार्यालय भी उनके पंजीकृत दस्तावेजों में उल्लेखित पते पर मौजूद नहीं हैं। इस वजह से उनके खिलाफ यह फैसला लिया गया है।
फैसले को चुनौती देने का मिला वक्त
आयोग का यह कदम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत उठाया गया है। इस नियम के अनुसार दलों को पंजीकरण के समय नाम, पता और पदाधिकारियों की जानकारी देना अनिवार्य है। निर्वाचन आयोग ने इन दलों को हटाने का मुख्य कारण उनकी छह साल की निष्क्रियता और गैर-मौजूद पते बताया। नियमों के मुताबिक, कोई दल अगर लगातार छह साल तक चुनाव नहीं लड़ता तो उसका पंजीकरण रद्द हो सकता है। हालांकि, चुनाव आयोग ने सभी को 30 दिनों के अंदर फैसले को चुनौती देने का अधिकार दिया है।
बिहार के इन दलों पर कार्रवाई
बिहार से संबंधित जिन 17 राजनीतिक पार्टियों पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई की है इनमें पटना का भारतीय बैकवार्ड पार्टी, भारतीय सुराज दल, भारतीय युवा पार्टी (डेमोक्रेटिक), बक्सर की भारतीय जनतंत्र सनातन दल, सारण की बिहार जनता पार्टी, गया की देसी किसान पार्टी, भभुआ (कैमूर) की गांधी प्रकाश पार्टी, बक्सर की हिमाद्री जनरक्षक समाजवादी विकास पार्टी (जनसेवक), पटना की क्रांतिकारी समाजवादी पार्टी, क्रांतिकारी विकास दल, लोक आवाज दल, लोकतांत्रिक समता दल, भगवानपुर (वैशाली) की नेशनल जनता पार्टी (इंडियन), पटना की राष्ट्रवादी जन कांग्रेस, राष्ट्रीय सर्वोदय पार्टी, सर्वजन कल्याण लोकतांत्रिक पार्टी और जमुई की व्यावसायी किसान अल्पसंख्यक मोर्चा शामिल हैं।