जमीन के बदले नौकरी मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई टालने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने लालू यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने निचली अदालत की सुनवाई पर रोक लगाने और सीबीआई की एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।

लालू यादव ने निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और फिलहाल इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि चूंकि इस संबंध में एक याचिका पहले से ही हाई कोर्ट में लंबित है, इसलिए फिलहाल वह इसमें दखल नहीं देगी। कोर्ट ने कहा कि अगर निचली कोर्ट उनके खिलाफ आरोप तय करती है, तो उनके खिलाफ जारी समन को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती देने वाली उनकी याचिका “निष्फल” नहीं होगी।
बुधवार को दायर की थी नई याचिका
इससे पहले 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा टालने से इंकार कर दिया था। हालांकि, बीमारी के कारण सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से अनुपस्थित रहने की छूट दी है। इसके बाद बुधवार को यादव ने अपनी नई याचिका दायर की, जिसमें मुकदमे को 12 अगस्त तक स्थगित करने का अनुरोध किया। इस दौरान हाई कोर्ट 2022 में उनके खिलाफ केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज मामले में उन्हें जारी समन को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करेगा।
क्या है जमीन के बदले नौकरी का मामला?
यह मामला लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है, जब उन पर यह आरोप लगा कि उन्होंने कुछ लोगों को रेलवे में नौकरी देने के बदले में उनसे जमीन ली। यह कथित घोटाला तब सामने आया जब सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की। आरोप है कि रेलवे में नौकरी देने के लिए उम्मीदवारों से रिश्वत के तौर पर जमीन ली गई, जिसे बाद में लालू यादव के परिवार वालों के नाम पर ट्रांसफर करवा दिया गया।