करोड़ों रुपये के चर्चित चारा घोटाला के एक मामले की सुनवाई अब रोज होगी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की स्पेशल कोर्ट ने चारा घोटाले के एक मामले में रोजाना सुनवाई का आदेश दिया है। यह निर्णय तब लिया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने पुराने लंबित मामलों के त्वरित निष्पादन का निर्देश दिया है।

सशरीर उपस्थिति दर्ज करानी होगी
सीबीआई की विशेष अदालत के जज राकेश कुमार ने ये आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपियों के लिए भी आदेश दिया है। विशेष अदालत ने बड़ा आदेश जारी करते हुए कहा है कि इस मामले के सभी जीवित आरोपितों को हर तारीख पर सशरीर उपस्थिति दर्ज करानी होगी। अदालत ने साफ किया कि अब मामले में किसी भी तरह की देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और सुनवाई लगातार चलती रहेगी।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी हैं आरोपी
चारा घोटाले के इस मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी आरोपी हैं उनके अलावा कुछ तत्कालीन मंत्री, विधायक भी आरोपी हैं। मामला वर्ष 1996 में दर्ज हुए उस बड़े घोटाले का हिस्सा है, जिसने बिहार की राजनीति और प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया था। यह विशेष मामला भागलपुर के बांका उप जिला कोषागार से पशुपालन विभाग के नाम पर जाली विपत्रों द्वारा करीब 45 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा हुआ है। सीबीआई ने इस मामले को कांड संख्या आरसी 63 (ए)/96 के रूप में दर्ज किया था।
कुल 18 आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा विचाराधीन
सीबीआई ने शुरुआती जांच के बाद 44 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। हालांकि, इतने वर्षों में कई आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है। वर्तमान में लालू प्रसाद यादव सहित कुल 18 आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा विचाराधीन है। इनमें कई पूर्व मंत्री, विधायक और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी शामिल हैं। मामले के आरोप पत्र में 250 से अधिक गवाह सूचीबद्ध किए गए थे, जिनमें से अब तक 110 गवाहों की गवाही दर्ज हो चुकी है। अदालत का उद्देश्य शेष गवाहों की जल्द से जल्द गवाही पूर्ण कराना है ताकि साक्ष्य के आधार पर अंतिम निर्णय तक पहुंचा जा सके।
चारा घोटाले में कुल 66 मामले
सीबीआई ने चारा घोटाले में कुल 66 मामले दर्ज किए थे। इसमें से 6 मामलों में लालू प्रसाद यादव भी आरोपी बनाए गए थे। इन मामलों में से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 5 मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। आखिरी बार 2022 में लालू प्रसाद यादव को डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपयों की अवैध निकासी के लिए दोषी ठहराया गया था।
क्या था बिहार का चारा घोटाला?
चारा घोटाला से जुड़ा अधिकतर फर्जीवाड़ा आज के समय में अलग राज्य बन चुके ‘झारखंड’ का है। यह पूरा घोटाला बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के जरिए हुआ था। जिस चारा घोटाले का आरोप लालू प्रसाद यादव पर लगता है, वह उनके ही समय से शुरू नहीं हुआ था, बल्कि इसकी शुरुआत 1980 के दशक में ही हो चुकी थी। तब बिहार में कांग्रेस के मुख्यमंत्री थे। भारत के तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) टीएन चतुर्वेदी ने उस दौरान बिहार के खजाने से रकम निकासी और इसके लिए हर महीने लगाई जा रही रसीदों को दायर करने में देरी का मुद्दा उठाया था। सीएजी ने उस दौरान ही खजाने से गड़बड़ लेनदेन और धनशोधन की आशंका जताई थी। हालांकि, तत्कालीन सरकार ने सीएजी की रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया और घोटाला जारी रहा। लालू के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने तक बिहार का यह घोटाला 950 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका था।

