बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन का आज आखिरी दिन है। इस बीच महागठबंधन के भीतर गुरुवार देर रात में सीटों का बंटवारा हो गया। मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की सीटों पर बात बन गई है। वीआईपी 15 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मुकेश सहनी खुद दरभंगा जिले की गौड़ बौराम सीट से चुनाव लड़ेंगे, आज वे अपना पर्चा दाखिल करेंगे।

मुकेश सहनी 40 सीटों पर लड़ने को लेकर अड़े हुए थे। हालांकि, वीआईपी गठबंधन में 15 विधानसभा सीटों पर राजी हो गई है। सीटों की संख्या कम होने की भरपाई के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने बाद में एक राज्यसभा सीट और दो विधान परिषद (एमएलसी) सीटें देने का भी भरोसा दिलाया है।
मुकेश सहनी दरभंगा के गौड़ा बौराम से लड़ेंगे चुनाव
सीट बंटवारे पर सहमति बनने के तुरंत बाद वीआईपी ने देर रात दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी स्वयं दरभंगा जिले की गौड़ा बौराम सीट से चुनाव लड़ेंगे। जबकि वीआईपी के प्रदेश अध्यक्ष बाल गोविंद बिंद भभुआ विधानसभा सीट से प्रत्याशी होंगे। ये दोनों उम्मीदवार शुक्रवार को अपना पर्चा दाखिल करेंगे। आज पहले चरण के नामांकन का आखिरी दिन है।
2 एमएलसी और एक राज्यसभा सीट पर माने
15 विधानसभा सीटों के साथ वीआईपी को 2 एमएलसी सीटें और एक राज्यसभा सीट भी देने पर सहमति बनी है। इस समझौते के बाद मुकेश सहनी ने कहा कि वीआईपी पार्टी मजबूती से चुनाव लड़ेगी और मछुआरों, पिछड़ों व वंचित समाज की आवाज विधानसभा तक पहुंचाएगी।
40 से आकर 15 पर माने
बता दें कि बीते चुनाव में सीटों के बंटवारे से नाराज होकर उन्होंने अंतिम क्षण में महागठबंधन छोड़ दिया था। फिर वह एनडीए में शामिल हो गए और 11 सीटों पर चुनाव लड़ा। उनके चार नेता विधायक भी बने लेकिन चुनाव जीतते ही उन सभी ने सहनी का साथ छोड़ दिया। वे सभी बीजेपी में शामिल हो गए। इस कारण इस चुनाव में सहनी के पास कोई बार्गेनिंग पावर नहीं बचा था। उनके पास 40 सीटें के दावे के पीछे कोई पुख्ता तर्क नहीं था। ऐसे में उनको केवल 15 सीटों पर समझौता करना पड़ा। हालांकि, 15 सीटों के साथ सहनी ने राजद नेता तेजस्वी यादव से कुछ वादे लेने में सफल हुए है।
सहनी की पार्टी से कोई विधायक नहीं
मुकेश सहनी खुद को सन ऑफ मल्लाह कहते हैं। वह दावा करते हैं कि बिहार में उनके समुदाय की आबादी 12 से 15 फीसदी हैं और समाज पर उनका अच्छा प्रभाव है। लेकिन, उनकी कमजोरी यह है कि वह खुद को बड़ा नेता बनाते हैं, लेकिन उनकी पार्टी के पास कोई विधायक नहीं हैं।

