बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने लगे हैं। मतगणना शुरू होने के साढ़े 6 घंटे बाद तक प्रशांत किशोर की पार्टी- जनसुराज एक भी सीट कर लीड करती नहीं दिख रही है। जबकि पीके की पार्टी ने 200 से ज्यादा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। इलेक्शन कमीशन पर जन सुराज का मतदान फीसदी भी नहीं दिखा रहा, जबकि वेबसाइट पर नोटा को 1.83 फीसदी मत मिले हैं। तो क्या जुन सुराज को नोटा से भी कम वोट मिले। सवाल है, आखिर क्या वजह है कि पार्टी इतनी बुरी तरह फेल हुई?

सवालो के घेरे में जन सुराज की परफॉर्मेंस
जोर-शोर से चुनाव में उतरी प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज की परफॉर्मेंस भी सवालों के घेरे में है। करीब 6 घंटे की मतगणना पूरी हो जाने के बाद भी जनसुराज का मतदान प्रतिशत सामने नहीं आया है। NOTA यानी किसी भी प्रत्याशी को पसंद नहीं करने की सूरत में डाला जाने वाला वोट का प्रतिशत 1.82 रहा। आयोग की वेबसाइट पर जनसुराज तो नहीं दिख रहा, लगभग सबसे कम महज 0.31 फीसदी वोट पाने वाली आम आदमी पार्टी (AAAP) के आंकड़े दिख रहे हैं।
एक भी सीट पर जन सुराज पार्टी आगे नहीं
रुझानों में जन सुराज का बुरा हाल है। एक भी सीट पर जन सुराज पार्टी आगे नहीं है। चनपटिया से जन सुराज क मनीष कश्यप और करगहर से रितेश पांडेय जैसे दिग्गज हारते हुए दिख रहे हैं।
क्या राजनीति से संन्यास ले लेंगे पीके?
पीके की पार्टी के हाल को देखते हुए यह साल उठाया जा रहा है कि क्या प्रशांत किशोर अपनी बात पर कायम रहते हुए राजनीति से संन्यास लेंगे? दरअसल, प्रशांत किशोर ने चुनाव के पहले दावा करते हुए कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड 25 से ज्यादा सीटों पर नहीं जीत पाएगी। पीके ने दावा करते हुए कहा था कि अगर नीतीश की पार्टी को 25 से ज्यादा सीटें मिली तो वह राजनीति छोड़ देंगे।

