बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, हर दिन नए समीकरण बनते दिख रहे हैं। एक तरफ महागठबंधन में शामिल दल एक दूसरे के खिलाफ फ्रेंडली फाइट की तैयारी में हैं। वहीं, दूसरी तरफ पूर्वी चंपारण की सुगौली विधानसभा सीट पर महागठबंधन ने तेज प्रताप यादव के साथ मिलकर नया दांव चल दिया है। दरअसल, इस सीट पर मुकेश सहनी ने तेज प्रताप के जनशक्ति जनता दल के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है। बता दें कि सहनी की विकाशील इंसान पार्टी (वीआईपी) महागठबंधन का हिस्सा है।

वीआईपी की श्याम किशोर चौधरी को जिताने की अपील
वीआईपी ने तेजप्रताप के कैंडिडेट श्याम किशोर चौधरी को समर्थन देने का ऐलान किया है। श्याम किशोर चौधरी केवट-खुलवाट समाज से आते हैं और इस बार ब्लैक बोर्ड छाप चुनाव चिन्ह पर मैदान में हैं। वीआईपी पार्टी ने अपने सभी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और समर्थकों से अपील की है कि वे श्याम किशोर चौधरी को जिताने के लिए पूरी ताकत से काम करें।
सहयोगी दलों के विचार-विमर्श के बाद सहनी का फैसला
वीआईपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने बताया कि यह निर्णय पार्टी सुप्रीमो मुकेश सहनी के निर्देश पर और महागठबंधन के सभी सहयोगी दलों के आपसी विचार-विमर्श के बाद लिया गया है। उन्होंने कहा है कि,‘वीआईपी सुगौली विधानसभा क्षेत्र से श्याम किशोर चौधरी को अधिकृत समर्थन प्रदान करती है और महागठबंधन के सभी दल उनके साथ मजबूती से खड़े हैं।‘ श्याम किशोर चौधरी विधानसभा क्षेत्र में अपनी सादगी, समाजसेवा और जनसंपर्क के लिए जाने जाते हैं।
श्याम किशोर चौधरी को महागठबंधन का पूर्ण समर्थन
देव ज्योति ने कहा कि चौधरी को अब महागठबंधन का पूर्ण समर्थन प्राप्त है और सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और समर्थकों से अपील की गई है कि वे उन्हें भारी मतों से विजयी बनाने के लिए एकजुट होकर काम करें। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने विश्वास व्यक्त किया है कि महागठबंधन का यह कदम सुगौली क्षेत्र में समृद्धि, विकास और जनकल्याण की दिशा में एक नया अध्याय जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि,श्याम किशोर चौधरी जैसे समर्पित जनप्रतिनिधि ही इस क्षेत्र की वास्तविक आकांक्षाओं को विधानसभा में सशक्त रूप से प्रस्तुत कर सकते हैं।
सीट पर महागठबंधन का कोई उम्मीदवार नहीं
दरअसल, सीट बंटवारे के तहत सुगौली सीट वीआईपी के खाते में आई थी। जहां से मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव की सहमति से आरजेडी के मौजूदा विधायक शशि भूषण सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था लेकिन नामांकन पत्रों की जांच के दौरान प्रस्तावकों की कम संख्या के कारण उनका पर्चा खारिज हो गया। जिस वजह से वहां महागठबंधन का अब कोई आधिकारिक कैंडिडेट नहीं है।

