बिहार के कटिहार जिले में मनिहारी अनुमंडल के लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी श्वेता मिश्रा के कारनामे उजागर हुए हैं। इस सरकारी अधिकारी ने वसूली कर आकूत संपत्ती बनाई है। अब इस वसूली के खेल का पर्दाफाश हुआ है। सरकारी आवास पर स्पेशल विजिलेंस यूनिट की छापेमारी के दौरान ये मामला उजागर हुआ।

छापेमारी के दौरान नगदी बरामद
कटिहार मिरचाई बारी स्थित ऑफीसर कॉलोनी के सरकारी आवास में छापेमारी के दौरान नगद बरामद किया गया है, जिसकी पुष्टि स्पेशल विजिलेंस यूनिट के डीएसपी अशोक झा ने की है। स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम ने श्वेता मिश्रा की कई अवैध संपत्ति का खुलासा किया है। साढ़े 6 लाख रुपए नकद जब्त किए गए हैं। पटना के शेखपुरा और यूपी के प्रयागराज में अपार्टमेंट के फ्लैट का पता चला है। गाजियाबाद में एक शॉपिंग कंपलेक्स का भी पता चला है। बैंक खाते और बैंक एफडी में 20 लाख के निवेश का भी खुलासा हुआ है। 16 लाख रुपए के आभूषणों का भी पता चला है, श्वेता मिश्रा के नाम से जमीन के कई दस्तावेज मिले हैं जिनकी जांच शुरू हो गयी है।
श्वेता मिश्रा पर क्या है आरोप
विशेष निगरानी इकाई से मिली जानकारी के अनुसार श्वेता मिश्रा पर आरोप है कि सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने गलत तरीके से अकूत सम्पत्ति अर्जित की है जो कि उनके द्वारा प्राप्त वेतन एवं अन्य ज्ञात स्रोत की तुलना में बहुत ही अधिक है।
श्वेता मिश्रा पर कुल 80,11,659 रुपये की गैरकानूनी और नाजायज संपत्ति अर्जित करने के कारण अगल अगल धाराओं में कांड दर्ज किया गया है। मिश्रा पर वर्णित आरोपो के आधार पर लगभग 84.34 प्रतिशत से अधिक आय से अधिक संपत्ति का मामला बनता है।
कार्यालय में खुलेआम वसूली की शिकायत
कार्यालय में खुलेआम वसूली की शिकायत के बाद उनके कार्यालय से तत्कालीन डीएम राजकुमार ने दलाल को गिरफ्तार करवाया था। दलाल की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन डीसीएलआर के रूप में श्वेता मिश्रा का संदेहजनक कार्य उजागर होने के बाद तत्कालीन डीएम ने उनके खिलाफ विभाग को कार्रवाई करने के लिए भी लिख दिया था। उनपर कार्यालय में दलालों के माध्यम से जमीन संबंधी अवैध कार्यों की बात सामने आई थी। इसके विरुद्ध कई स्थानीय लोगों ने डीएम से शिकायत की थी।
इसके पूर्व भी लगे हैं आरोप
पहले भी श्वेता मिश्रा पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं। उनपर आरोप लगे थे कि दाखिल-खारिज के आवेदन को पास करने के लिए रिश्वत मांगी थी। इसके अलावा, उन्होंने बिना बताए अपील के मामलों की सुनवाई की और उन्हें रद्द कर दिया था। यह भी आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर गलत जगह पर कागजात भेजे। उन्होंने निम्न न्यायालय के अभिलेख आदेश की छाया प्रति अंचल अधिकारी आरा सदर की जगह अंचल अधिकारी उदवंत नगर को भेज दी।