
बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया विवाद पैदा हो गया है। विवाद के केन्द्र में हैं बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी। जिनके प्रोफेसर बनने पर ब्रेक लग गया है। शिक्षा विभाग ने उनके आवेदन में कमी पाई है। विभाग ने उनकी फाइल को यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन को भेज दिया है। यूनिवर्सिटी सर्विस कमीशन अब इसकी जांच करेगा। जांच के बाद ही यह साफ होगा कि वे प्रोफेसर बन पाएंगे या नहीं।
मामले पर क्या बोले शिक्षा मंत्री?
मंत्री अशोक चौधरी की प्रोफेसर नियुक्ति को लेकर उठ रहे सवालों काशिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने जवाब दिया है। अशोक चौधरी के प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि नियुक्तियां आयोग करता है। हमने मामला आयोग को भेज दिया है कमीशन ही अपना मंतव्य देगा। हमने उनकी नियुक्ति की समीक्षा की है।
शिक्षा मंत्री ने कहा-कुछ कमियां पाई गई
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस पर हम लोगों ने गहराई से देखा है और कुछ विसंगतियां हम लोगों ने देखी हैं। इसके लिए उनसे मन्तव्य मांगा है। आयोग इसका जवाब देगा कि उनकी नियुक्ति होने में क्या कमियां है।
दो अलग-अलग नाम के वजह से अटकी नियुक्ति?
हालांकि, शिक्षा मंत्री ने यह नहीं बताया कि विभाग को क्या कमी मिली है। लेकिन सूत्रों के हवाले से पता चला है कि दो अलग-अलग नाम इसकी वजह हो सकते हैं। दरअसल, मंत्री अशोक चौधरी के शैक्षणिक दस्तावेजों में उनका नाम अशोक कुमार है और चुनावी हलफनामे में उनका नाम अशोक चौधरी है। सूत्रों की मानें तो यह उनकी नियुक्ति अटकने का कारण हो सकती है।
राजद और कांग्रेस ने सरकार को घेरा
इस मुद्दे पर राजद और कांग्रेस ने सरकार को घेरा है। राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने इसे सच से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने सवाल दागा कि क्या मंत्री की पीएचडी डिग्री संदिग्ध है? कांग्रेस का आरोप है कि राजनीति शास्त्र की अंतिम सूची में शामिल 18 लोगों में अशोक चौधरी का नाम न होना दाल में काला होने का संकेत है।
प्रोफेसर के लिए इंटरव्यू में पास हुए थे असोक चौधरी
बता दें कि अशोक चौधरी पिछले जून में पॉलिटिकल साइंस प्रोफेसर के लिए इंटरव्यू पास करने वाले 274 उम्मीदवारों में से एक थे। यह इंटरव्यू बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा पहली बार इस पद का विज्ञापन देने के पांच साल बाद हुआ था। सूत्रों के अनुसार अशोक चौधरी को 18 अन्य उम्मीदवारों के साथ पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय आवंटित किया गया था, लेकिन यह प्रक्रिया रोक दी गई।

