Bihar:बिहार में जारी रहेगा वोटर लिस्ट का रिवीजन, सुप्रीम कोर्ट का रोक लगाने से इनकार

Neelam
By Neelam
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में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि संवैधानिक संस्था (चुनाव आयोग) के काम पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसका मतलब है कि बिहार में मतदाता सूची का एसआईआर जारी रहेगा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए कि वह पुनरीक्षण के लिए जरूरी दस्तावेजों में आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर कार्ड को शामिल करने पर विचार करे।

आधार कार्ड, राशन कोर्ड और वोटर आईडी को शामिल करने की सालह

बिहार में वोटर लिस्ट की समीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। जिसमें सर्वोच्च अदालत ने प्रक्रिया पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का निर्वहन किया जा रहा है। चुनाव आयोग संवैधानिक प्राधिकार है। हम उसे प्रक्रिया करने से नहीं रोकेंगे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से दो टूक कहा है कि पहचान के लिए आधार कार्ड, राशन कोर्ड और वोटर आईडी को भी दस्तावेज के तौर पर शामिल करें।

हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय

कोर्ट ने चुनाव आयोग को अपना हलफनामा दायर करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। वहीं याचिकाकर्ताओं को उसके एक सप्ताह बाद जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। शीर्ष अदालत अब इस मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन मुद्दों पर मांगा जवाब

सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग से तीन मुद्दों पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अदालत के समक्ष जो मुद्दा है वह लोकतंत्र की जड़ और मतदान के अधिकार से जुड़ा है। याचिकाकर्ता न केवल चुनाव आयोग के मतदान कराने के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं, बल्कि इसकी प्रक्रिया और समय को भी चुनौती दे रहे हैं। इन तीन मुद्दों पर जवाब देने की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट में दायर हैं 10 याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट ने में इस मामले के संबंध में 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गयी हैं। इनमें प्रमुख याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ है। राजद सांसद मनोज झा और तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा के अलावा, कांग्रेस के के सी वेणुगोपाल, शरद पवार नीत राकांपा गुट से सुप्रिया सुले, भाकपा से डी राजा, समाजवादी पार्टी से हरिंदर सिंह मलिक, शिवसेना (उबाठा) से अरविंद सावंत, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद और भाकपा (माले) के दीपांकर भट्टाचार्य ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत का रुख किया है। सभी नेताओं ने बिहार में मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण के निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती दी है और इसे रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

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