गणतंत्र दिवस परेड में झारखंड की झांकी के जगह ना मिलने पर बोली भाजपा, झारखंड सरकार का केंद्र सरकार पर दोषारोपण पूरी तरह अनुचित

Anupam Kumar
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जमशेदपुर। गणतंत्र दिवस परेड में झारखंड की झांकी को जगह ना मिलने पर झारखंड सरकार द्वारा केंद्र सरकार पर मनमानी के आरोप लगाने पर भाजपा ने स्थिति स्पष्ट की है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्य सरकार पर मामले को लेकर अनावश्यक राजनीति करने का आरोप लगाया है। कुणाल षाड़ंगी ने झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में जगह नहीं मिलने पर दोषारोपण की परंपरा को गलत करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि झांकियों का चयन केंद्र सरकार नहीं, बल्कि विशेषज्ञ समिति करती है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव को ‘विषय विशेषज्ञ समिति’ ने उचित प्रक्रिया अपनाने और विचार-विमर्श के बाद खारिज किया है। राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों से 56 प्रस्ताव आए थे तथा उनमें से 21 का चयन किया गया है। जिसमें, सिर्फ झारखंड की झांकी ही नहीं बल्कि झांकियों के कुल 35 प्रस्ताव खारिज हुए हैं। श्री षाड़ंगी ने कहा कि जहां तक बात किसी झांकी को चुनने या छांटने की प्रक्रिया की है तो रक्षा मंत्रालय ने जो चिट्ठी लिखी है, उसमें चयन की प्रकिया को लेकर विस्तृत जानकारी दी गयी। झांकियों के चयन की प्रक्रिया जटिल है और इसमें वक्त भी अधिक लगता है। पत्र में बताया गया है कि रक्षा मंत्रालय ने सर्वोत्तम प्रस्तावों के चयन के लिए कला के विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिष्ठित शख्सियतों की एक समिति बनाई है ताकि समय से झांकियों की चयन प्रक्रिया की शुरुआत हो जाए। मंत्रालय की ओर से जारी चिट्ठी में इस वर्ष के गणतंत्र दिवस की झांकियों का थीम भारत की आजादी के 75 वर्ष रखा गया है। इसके तहत पांच विषयों पर झांकियों का प्रस्ताव मांगा गया था। प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि पिछले वर्ष झारखंड की झांकी को परेड में शामिल किया गया था। अगर झारखंड सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुरूप झांकी का प्रस्ताव भेजे गए होते तो निश्चित ही इस बार के परेड में भी जरूर जगह मिलती। जब इतने विस्तृत निर्देश दिए गए हैं तो इसमें केंद्र सरकार की मनमानी की गुंजाइश कहां बच जाती है। सबसे बड़ी बात है कि झांकी का चयन सरकार नहीं, बल्कि विशेष समिति करती है जो विभिन्न क्षेत्रों की जानी-मानी हस्तियों से मिलकर बनती है। ऐसे में झांकी खारिज होने पर हंगामा खड़ा करने वालों को समझना होगा कि वो केंद्र सरकार पर नहीं बल्कि विशेषज्ञ समिति पर आरोप लगा रहे हैं। श्री षाड़ंगी ने कहा कि तय मानकों के आधार पर चयन प्रक्रिया में झांकियों के छांटे जाने के मामले को मुख्यमंत्री द्वारा ‘फ्लैशपॉइंट’ के रूप में चित्रित करने का तरीका बिल्कुल गलत और अनुचित है। ऐसे विवाद देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने में बड़ा कारक है।

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