Caste Census : बीजेपी ने राहुल के हाथ से छीना बड़ा मुद्दा, जातीय जनगणना का बिहार चुनाव पर क्या होगा असर?

Neelam
By Neelam
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केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने जाति जनगणना को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को जाति जनगणना को मंजूरी दी। देश में आजादी के बाद पहली बार जाति जनगणना कराई जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इसे मूल जनगणना के साथ ही कराया जाएगा। लंबे समय से राहुल गांधी और विपक्ष जातिगत जनगणना की मांग कर रहे है। जिसको लेकर राहुल लगातार केन्द्र सरकार को खिलाफ आक्रामक रुख अपनाते आ रहे थे। ऐसे में केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का वादा कर कांग्रेस के हाथ से यह मुद्दा छीन लिया है। जिसका असर बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिले सकता है।

बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने तय किया है कि वह 2026 में होने वाली जनगणना के साथ ही देश भर में जातीय जनगणना भी कराएगी। देश में इस वक्त पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर माहौल खासा गर्म है। ऐसे समय में मोदी सरकार ने अप्रत्याशित रूप से जातीय जनगणना की बात कहकर देश की राजनीति को पूरी तरह से नया मोड़ दे दिया है। इसका सबसे पहला प्रभाव बिहार विधानसभा चुनाव पड़ सकता है।

राहुल गांधी 2023 से कर रहे मांग

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 2023 में सबसे पहले जाति जनगणना की मांग की थी। इसके बाद वे देश-विदेश की कई सभाओं और फोरम पर केंद्र से जाति जनगणना कराने की मांग करते रहे हैं। कांग्रेस और खासकर इसके नेता राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनावों में इसे उन्होंने अपना सबसे बड़ा मुद्दा बना लिया था। 2024 के लोकसभा चुनावों में खासकर के उत्तर प्रदेश में इंडिया ब्लॉक को इसका फायदा भी मिला था। बीजेपी को उसके ओबीसी और दलित वोट बैंक का नुकसान भी हुआ। क्योंकि, तब कांग्रेस और सहयोगियों ने यह जोरदार प्रचार किया था कि बीजेपी इसीलिए 400 सीटें मांग रही है, ताकि वह संविधान बदलकर आरक्षण को खत्म कर सके।

तेलंगाना और कर्नाटक में कराई जातीय जनगणना

राहुल गांधी ने तेलंगाना और कर्नाटक में कांग्रेस की अपनी सरकारों पर भी इस तरह की जनगणना की रिपोर्ट जारी करने का दबाव बनाया। इससे भी कांग्रेस यह संदेश देने में सफल रही है कि यदि वह केंद्र में सत्ता में आती है तो वह पूरे देश में जातिगत जनगणना कराएगी। अब जिस तरह से सरकार ने परिस्थितियां पलटने की कोशिश की है, उसके बाद राहुल अपने एजेंडे का किस हद तक फायदा उठा सकेंगे, यह बड़ा सवाल है।

बिहार चुनाव में जाति सबसे बड़ा मुद्दा

बिहार चुनाव में जाति सबसे बड़ा मुद्दा रहता है। यहां जातीय समीकरण ही आखिरकार चुनाव परिणाम तय करते हैं। यूं तो पहले ही बिहार जातिय सर्वे हो चुके हैं। लेकिन, ओबीसी पीएम नरेंद्र मोदी और ओबीसी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके माध्यम से राज्य में एक नया नैरेटिव सेट करने का मौका मिल सकता है, जो कि निश्चित तौर पर ‘माय'(मुस्लिम-यादव) समीकरण से आगे देख रही, कांग्रेस की अगुवा लालू यादव की आरजेडी की राजनीति की कमर तोड़ने वाला दांव साबित हो सकता है।

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