Indian Penal Code का बदला नाम और बदले गए कई कानून : अब भारतीय न्याय संहिता के आधार पर भविष्य में कानूनों की तय होगी नई परिभाषा, पढ़े पूरी खबर….

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475 गुलामी की निशानियों को किया गया समाप्त

बदल गई ताजिरात-ए-हिंद’ दफा 302 के तहत मुजरिम को मौत की सजा

मिरर मीडिया : ब्रिटिश शासन के ज़माने से चलें आ रहें नाम सहित कई कानूनों को बदलने की पहल के साथ पहला बदलाव कर दिया गया है जिसके तहत गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन ऐसे बिल पेश किए, जिससे कई कानून बदले जाएंगे, कई कानून खत्म हो जाएंगे और कई नए कानून बनेंगे। अब इन विधेयकों से भविष्य के भारत में दंड और न्याय के कानूनों की नई परिभाषा तय होगी।

इन तीन विधयकों के नाम हैं भारतीय न्याय संहिता बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल 2023 और भारतीय साक्ष्य बिल 2023। बता दें कि इन 3 विधेयकों को लोकसभा में पेश करने के बाद स्टैंडिंग कमेटी में चर्चा के लिए भेज दिया गया। विधेयकों के हिसाब से 1862 में देश में ब्रिटिश शासन के दौरान Indian Penal Code (IPC)1860 लागू किया गया था, जिसका नाम अब भारतीय न्याय संहिता 2023 करने का प्रस्ताव है।

गृह मंत्री अमित शाह ने ये तीनों बिल पेश करते हुए कहा कि 2019 से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून को आज के हिसाब से बनाया जाएगा। इसके लिए व्यापक चर्चा की गई है। सभी हाई कोर्ट, यूनिवर्सिटी, सुप्रीम कोर्ट, आईएएस, आईपीएस, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सासंद, विधायक, लॉ यूनिवर्सिटी आदि को पत्र लिखकर उनकी राय मांगी गई है। इसके बाद वो इन विधेयकों को लेकर आए हैं। 475 गुलामी की निशानियों को समाप्त किया गया। इससे लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी।

इसी तरह Code of Criminal Procedure (CrPC) 1973 को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 करने का प्रस्ताव है। CrPC को 1882 में लागू किया गया था, बाद में इसमें 1892 और 1973 में बदलाव किए गए थे। अब पूरा नाम ही बदल रहा है। The Indian Evidence Act 1872 को भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 पेश किया गया है।

इन कानून में बदलावों से राजद्रोह कानून पूरी तरह से खत्म होगा। इसके अलावा मॉब लिंचिंग पर भी कानून का प्रावधान है। मॉब लिंचिंग के दोषियों के लिए 7 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास और मृत्युदंड तक का प्रावधान है। गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।

18 साल से कम आयु की बच्चियों से गैंगरेप के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
झूठी पहचान बताकर शादी करने वाले के लिए 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
7 साल से अधिक की सजा वाले केस में फॉरेंसिक रिपोर्ट जरूरी होगी। चेन और मोबाइल स्नैचरों के लिए 10 साल से आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है।

भगोड़े अपराधियों की गैरमौजूदगी में ट्रायल का भी प्रवाधान किया गया है। लड़की की फोटो वायरल करने पर 3 साल की कैद होगी। इन बदलावों के लिए अलावा कुछ ऐसे बदलाव भी प्रस्तावित हैं, जिसका असर आपको पुलिस जांच की प्रक्रिया में दिखेगा।

✍️ जीरो FIR को 15 दिनों के भीतर संबंधित थाने में भेजना जरुरी

जीरो एफआईआर को 15 दिनों के भीतर संबंधित थाने में भेजना जरुरी होगा। जीरो FIR वो होता है जो आप कहीं भी करा सकते हैं, इसके लिए घटना वाले पुलिस थाने में जाने की जरूरत नहीं होती है। मसलन आपके साथ कोई घटना दिल्ली में हुई और आप गाजियाबाद में रहते हैं तो गाजियाबाद में ही आप जीरो FIR करा सकते हैं।


पुलिस अगर किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेती है या गिरफ्तार करती है तो उसे लिखित में परिवार को सूचना देनी होगी।

पुलिस को 90 दिनों में किसी भी मामले की स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी। यानी बताना होगा कि जांच कहां तक पहुंची। पुलिस को अब 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा।

अगर जरूरत होती है तो कोर्ट किसी मामले में 90 दिन अधिक भी दे सकती है यानी कुल 180 दिन के भीतर आरोप पत्र जरूरी होगा। किसी भी मामले में बहस पूरी होने के बाद 30 दिन में फैसला देना ही होगा। फैसला आने के बाद 7 दिनों में इसे ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा।

✍️ राजद्रोह की धारा खत्म

नए बिल में राजद्रोह की धारा 124a को खत्म कर दिया है, जो देश में सत्ताधारी सरकारों के खिलाफ अभिव्यक्ति या खिलाफत करने वालों पर आपराधिक कार्रवाई का प्रावधान था। लेकिन भारतीय न्याय संहिता की धारा 150 में विधेयक में प्रस्ताव दिया गया कि किसी व्यक्ति या संस्था का कोई भी कदम, जो देश में विभाजन लाने की कोशिश करें या उसकी अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाला हो, सशस्त्र विद्रोह या फिर छुपी हुई कोई ऐसी गतिविधि, जो देश के सौहार्द और अखंडता को नुकसान पहुंचा सकती हो या फिर अलगाववादी भावना को बढ़ावा देती हो और देश की अखंडता, एकता और संप्रभुता को खतरे में डाले या आहत करें ऐसी स्थिति में धारा 150 के तहत आजीवन कारावास या 7 साल का कारावास की सजा होगी।

अंग्रेजों के समय की राजद्रोह की धारा की तुलना में धारा 150 में देश की एकता अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों के खिलाफ ही आपराधिक मुकदमा चलाया जाएगा और उन्हें जेल भेजा जाएगा।

✍️ ताजिरात-ए-हिंद’ दफा 302 के तहत मुजरिम को मौत की सजा

वहीं बदलाव की कड़ी में अब ताजिरात-ए-हिंद’ दफा 302 के तहत मुजरिम को मौत की सजा नहीं बल्कि भारतीय न्याय संहिता में धारा 302 के तहत हत्या नहीं बल्कि स्नैचिंग का अपराध होगा। पहले इसमें हत्या का मुकदमा चलता था, अब स्नैचिंग का अपराध का मुकदमा होगा। यानी राह चलते किसी के गले से चेन, घड़ी, मोबाइल, बैग जैसे सामान को छीनने पर धारा 302 के तहत सुनवाई होगी।

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