उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हुआ 4 दिनों तक चलने वाला महाआस्था का महापर्व छठ

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लोकल से ग्लोबल बना लोक आस्था का महापर्व छठ : देश विदेशों तक मनाया गया छठ महापर्व

मिरर मीडिया : 36 घंटे निर्जला उपवास और 4 दिनों तक चलने वाला महा आस्था का महापर्व छठ आज उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हो गया। आपको बता दें कि लोकल से ग्लोबल हुआ छठ पर्व धनबाद से रांची हो या पटना से मुंबई या फिर कहे दिल्ली से जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया सभी जगह इस लोकआस्था का महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।

आस्था के महापर्व छठ पूजा के अंतिम दिन बड़ी संख्या में व्रतियों ने सूर्य देव को ‘सूर्योदय अर्घ्य’ चढ़ाया। देश के अलग-अलग हिस्सों में व्रतियों ने गुरुवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। धनबाद के पम्पू छठ तालाब हो या बेकार बाँध तालाब वहीं दिल्ली में यमुना नदी किनारे समेत अलग-अलग क्षेत्रों में बनाए गए घाटों पर व्रतियों ने अर्घ्य दिया। वहीं पटना में भी गंगा नदी किनारे व्रतियों ने अर्घ्य दिया। महाराष्ट्र में भी व्रतियों ने सूर्य देव को अर्घ्य दिया। इसके साथ ही झारखंड की राजधानी रांची में भी व्रतियों ने उगते सूर्य को नमन किया।

देश भर में अलग-अलग जगहों पर लाखों व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य दिया और आस्था के पवित्र जल में डुबकी लगाई। गौरतलब है कि छठ पर्व में सूर्य देव और छठ मैया की आराधना-उपासना की जाती है। चार दिन तक चलने वाला छठ महापर्व मुख्यत: बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड में लोग मनाते हैं। महापर्व के तीसरे दिन शाम को व्रती निर्जला रहकर डूबते सूर्य को ‘अर्घ्य’ देते हैं जबकि चौथे दिन उगते सूर्य को ‘अर्घ्य’ देने के साथ इस महापर्व का समापन होता है।  छठ का चौथा दिन यानी कि सप्तमी के दिन सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देकर विधि-विधान से पूजा संपन्‍न की जाती है। इस दिन घाटों पर खास रौनक दिखती है और महिलाएं छठी माता के गीत गाती हैं। सूर्योदय के साथ ही सुबह का अर्घ दिया जाता है और इस तरह छठ पूजा का पारण यानी समापन होता है।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है। छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं। संतानों की लंबी आयु के लिए भी यह पूजा की जाती है। वहीं यह भी माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया था। तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) रखने की सलाह दी थी।

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