चिटगांव की अदालत ने हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका खारिज कर दी है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया। हालांकि, चिन्मय दास की ओर से सुप्रीम कोर्ट के 11 वरिष्ठ वकीलों ने पैरवी की, लेकिन इसके बावजूद उन्हें राहत नहीं मिली।
सुनवाई में वकीलों को मिला पेश होने का मौका
इस बार की सुनवाई में एक सकारात्मक पक्ष यह रहा कि चिन्मय दास के वकीलों को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। इससे पहले की दो सुनवाई में वकीलों को अदालत में पेश होने से रोका गया था। इस सुनवाई के पहले इस्कॉन संगठन ने आशा जताई थी कि संत चिन्मय कृष्ण दास को न्याय मिलेगा, लेकिन अदालत के फैसले से उनकी उम्मीदों को झटका लगा है।
उच्च न्यायालय में अपील की तैयारी
चिन्मय दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने मीडिया को जानकारी दी कि वे अब इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि न्याय मिलने की प्रक्रिया जारी रहेगी।
गिरफ्तारी और मामले का विवरण
संत चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर को ढाका के हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल में हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद से हिंदू संगठनों और समर्थकों द्वारा न्याय की मांग तेज हो गई है।
पिछली सुनवाई और विवाद
इससे पहले 11 दिसंबर को अदालत ने प्रारंभिक जमानत याचिका को प्रक्रिया में खामी और वैध पावर ऑफ अटॉर्नी की अनुपस्थिति के कारण खारिज कर दिया था। पिछली सुनवाई के दौरान कुछ वकीलों द्वारा धमकी मिलने के चलते चिन्मय दास के वकील अदालत में पेश नहीं हो सके थे।
इस्कॉन और समर्थकों की प्रतिक्रिया
इस्कॉन ने इस मामले में निरंतर समर्थन जताते हुए उम्मीद जताई कि उच्च न्यायालय में अपील के बाद न्याय मिलेगा। संत चिन्मय कृष्ण दास के समर्थक और हिंदू संगठन इस मामले को धार्मिक और कानूनी अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए आंदोलन तेज करने की योजना बना रहे हैं।